पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की खबर पाकर जहां देशभर में शोक की लहर फैल गई वहीं मीडिया में टीआरपी पाने की होड़ मच गई।

टीवी चैनलों के एंकर ‘खून का बदला खून’ वाली भाषा में बात कर रहे हैं।

भले ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय हिंसा की भाषा बोलने से मना करने का निर्देश जारी कर रहा है लेकिन मीडिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

कहीं पाकिस्तान के विनाश करने की बात कर रहा है तो कहीं सर्जिकल स्ट्राइक की बात।

उत्तेजित भाषा बोल रहे मीडिया की इन हरकतों को शर्मनाक बताते हुए पत्रकार मारिया शकील लिखती हैं- टीवी स्क्रीन पर खून के बदले खून मांग रहे एंकरों को बाज जाना चाहिए, ये बदले की बात आपको टीआरपी दिला सकती है लेकिन इससे परिस्थितियां और बुरी होती जा रही हैं। हमारा काम रिपोर्ट करना है किसी को उत्तेजित करना नहीं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here