सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगडे के ट्विटर अकाउंट पर पाबंदी लगाने के बाद अब टि्वटर इंडिया ने सीनियर पत्रकार दिलीप मंडल के अकाउंट को भी रिस्ट्रिक्ट कर दिया है।

हैरानी की बात यह है कि दिलीप मंडल के ट्विटर अकाउंट पर ये एक्शन एक पुरानी पोस्ट के हवाले से लिया गया है।

कहा गया है कि 1 मार्च को उनके द्वारा पोस्ट किए गए ट्वीट में डॉक्टर अनिल जय हिंद की जीमेल आईडी का उल्लेख था, जो उनकी प्राइवेसी का हनन है। लेकिन डॉक्टर अनिल जय हिंद इस बात को स्पष्ट करते हुए साफ-साफ लिख रहे हैं कि मेरी किसी भी तरह की निजता का उल्लंघन नहीं हुआ है बल्कि यह पोस्ट तो मेरी सहमति के साथ लिखी गई है।

मतलब ट्विटर की तरफ से दी जा रही दलील को न सिर्फ खारिज किया जा रहा है बल्कि टि्वटर इंडिया के जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की मंशा पर सवाल भी उठाया जा रहा है।

कहा जा रहा है कि किसी के ईमेल की निजता तो एक बहाना मात्र है ट्विटर को असली आपत्ति तो ‘बहुजन एजेंडा’ से है। गौरतलब है कि 1 मार्च को दिलीप मंडल द्वारा किए गए इस ट्वीट में उन्होंने न सिर्फ ‘बहुजन एजेंडे’ का जिक्र किया था बल्कि उस को आगे बढ़ाने और लोकसभा चुनाव में पार्टियों के मेनिफेस्टो में शामिल करने की मुहीम के रूप में आगे बढ़ाया गया था।

ट्विटर द्वारा लिए गए इस मनमाने एक्शन से नाराज होते हुए दिलीप मंडल ने फेसबुक पर लिखा-

ट्विटर कह रहा है कि ये पोस्ट हटा दो तो एकाउंट फिर खोल देंगे.

ये न हो पाएगा. ऐसे कैसे हटा दें? इसमें गलत क्या है?

एक अन्य फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने लिखा-

सोशल मीडिया पर बहुजनों की अग्निदीक्षा.

आग का दरिया है ये. यहां आपकी सबसे बड़ी समस्या तो ये है कि आप चाहे अपने यूनिवर्सिटी के टॉपर हों. आपकी किताबें या चैप्टर ऑक्सफोर्ड में छपे हों, आप बेहतरीन लिखते हों, लेकिन आपका टाइटल ठीक नहीं है तो आपको बुद्धिजीवी नहीं माना जाएगा….

एक वरिष्ठ पत्रकार पर लगाई गई इस पाबंदी के खिलाफ हजारों लोगों ने अपनी नाराजगी जताई है और ट्विटर पर ही #RestoreDilipMandal का ट्रेन चलाना शुरु कर दिया।

हजारों ट्वीट के साथ लोग नाराजगी जता रहे हैं कि दलित पिछड़ों और आदिवासियों की बात उठाने वाले तमाम प्रमुख हस्तियों को ट्विटर बार-बार निशाने पर क्यों लेता है ? चाहे सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगडे हों, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल हों या फिर आदिवासी अधिकारों के कार्यकर्ता हंसराज मीणा।

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