देश में बेरोज़गारी अपनी चरम सीमा पर है. यूनिवर्सिटी, सेना, पुलिस, बैंक में खाली सीटें हैं पर उन्हें भरा नहीं जा रहा. वरिष्ट पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपाई ने ट्विटर पर इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने सरकार पर भी तंज कसा.

उनका कहना है कि पैसा राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है. देश में लोग बेरोज़गार हैं, नौकरियां मिल नहीं रही. बड़े-बड़े संस्थानों में पद खाली हैं लेकिन उनपर भर्ती नहीं होती. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘सारा ख़र्च राजनीतिक सत्ता पर..ख़ाली पदों तक पर भर्ती नहीं..? सिस्टम लचर होगा ही.’

ट्वीट में दी गई जानकारी के अनुसार पुलिस में 4,43,524, सेना/अर्धसैनिक बल – 65,699, ग्रामिण भारत में डॉ./नर्स में 72,150 और पोस्ट आफिस में 49,349 पद खाली हैं. युवा बैंक में नौकरी के अवसर तलाश रहे हैं. फिर भी बैंक में 16,560 पद खाली हैं.

यही नहीं शिक्षा विभाग में सबसे अधिक नौकरियों के अवसर होने के बावजूद खाली पद भरे नहीं जा रहे. बाजपाई ने शिक्षा के क्षेत्र की पोल खोलते हुए कहा की देश का दुर्भाग्य है कि देश में चुनाव ही एक विषय बचा है, उसे ही मिशन बना दिया है.

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उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘चुनाव ही बना दिया गया देश का मिशन.. बेरोज़गार युवा भारत क्या करें..पोलिटिकल पार्टी में नौकरी करें, नेता को शिक्षक माने.’

उन्होंने ट्वीट में आंकड़ों का हवाला दिया है. सरकारी शिक्षकों के लिए 10,27,413 पद खाली हैं. सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में 1219, आईआईटी में 2669, एनआईटी में 1507 और आईपीएस/आईएएस में 2434 पद रिक्त पड़े हैं.

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बावजूद इन सबके बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है. सरकारी नौकरियां हैं पर उन्हें युवाओं के लिए मुक्त नहीं किया जा रहा. उल्टा रोस्टर लाकर यूनिवर्सिटी में बहुजन शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी की फीस बढाकर एससी, एसटी, ओबीसी और गरीब समाज के छात्रों से पढ़ने के मौके छीने जा रहे हैं.

मोदी सरकार न पढ़ने दे रही है, न किसीको पढ़ाने दे रही है. चुनावी रैलियों में बेरोज़गारी मिटाने की बात कहकर युआओं से वोट बटोरने का प्रयास जारी है पर उन्हें उनका हक़ पिछले पांच सालों से नहीं मिल रहा.

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