मोदी सरकार का कार्यकाल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से भयावह रहा। GDP को बढ़ाने से लेकर बेरोजगारी को कम करने तक के तमाम वादे झूठे साबित हुए। अब भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (CMIE) की नई रिपोर्ट है जिससे पता चलता है कि भारत में बेरोजगारी दर 7.2 प्रतिशत के पार पहुंच गया है।
CMIE ने मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में बेरोजगारी दर फरवरी 2019 में बढ़कर 7.2 प्रतिशत पार पहुंच गया है, ये बेरोजगारी दर सितम्बर 2016 के बाद सबसे अधिक है। वहीं पिछले साल यानी फरवरी 2018 में बेरोज़गारी दर 5.9 प्रतिशत था। यानी पिछले 12 महीनों में बेरोजगारी दर 1.3 प्रतिशत बढ़ी है।
CMIE के आंकड़े देश भर के हजारों घरों के सर्वेक्षण पर आधारित है। कई अर्थशास्त्री इन आंकड़ों को सरकार द्वारा जारी बेरोजगारी के आंकड़ों की तुलना में अधिक विश्वसनीय मानते है।
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जनवरी में जारी CMIE की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2016 के अंत में नोटबंदी और 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद लगभग 11 मिलियन लोगों ने नौकरी खो दी, साथ ही लाखों छोटे व्यवसाय प्रभावित हुए।
लोकसभा चुनाव से बस कुछ दिन पहले इन आंकड़ों का सामने आना मोदी सरकार को नुकसान पहुंचा सकती है। सरकार ने पिछले महीने संसद को बताया कि उसके पास छोटे व्यवसायों में नौकरियों पर नोटबंदी के प्रभाव का डाटा नहीं है। सरकार द्वारा हर डाटा को छिपाया, गायब या सामने ना लाना जनता के साथ किसी धोखे से कम नहीं माना जाना चाहिए।
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CMIE की ताजा रिपोर्ट पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि, ‘नौकरी की तलाश में लोगों को बीजेपी से जुमलों के अलावा कुछ नहीं मिला है। आशा करते हैं कि उनकी आने वाली रैलियों में प्रधानमंत्री 2014 में युवाओं से किए गए वादों कि बात करेंगे।’
India's #Unemployment rate is highest since 2016…. Job seekers have only got jumlas and nothing else from the BJP. I hope that the Prime Minister in his rallies now speaks about the reality of the promises he made to the youth of the country in 2014.https://t.co/xVN8D3TdZX
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) March 6, 2019