आकाश पांडेय

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में शांति, प्रेम, सौहार्द के लिए चौरीचौरा से राजघाट दिल्ली तक पदयात्रा कर रहे 10 पदयात्रियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया है।

पुलिस ने इन पर दंड संहिता की धारा 151,107,116 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। इन पदयात्रियों ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ 13 फरवरी को शाम पांच बजे से भूख हड़ताल शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है जिसके लिए उनको गिरफ्तार किया गया है। समाज में प्रेम, शांति,सद्भभाव की बात करना कोई अपराध नहीं है।

ये यात्रा 2 फरवरी 2020 को चौरीचौरा से प्रारंभ हुई और 11 फरवरी को गाजीपुर में गिरफ्तार होने तक पदयात्रियों ने लगभग 250 किलोमीटर की यात्रा पैदल तय की थी। इस दौरान ये पदयात्री लोगों से मिलकर, बातचीत करके उनको गांधी, अंबेडकर ,भगत सिंह आदि के समाज के बारे में विचारों को बता रहे थे। वो समाज में शांति, प्रेम का संदेश लेकर लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे थे।

इस यात्रा में बीएचयू,जेएनयू, डीयू, इलाहाबाद विश्वविद्यालय आदि के छात्र शामिल हैं। इस यात्रा में पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं। इस यात्रा की योजना देश के लगभग 30 से ज्यादा विश्वविद्यालय के छात्रों ने मिलकर बनाया है।

इस यात्रा का विचार छात्रों के मन में तब आया जब इन छात्रों ने 19-20 दिसम्बर, 2019 को सीएए, एनआरसी के खिलाफ पूरे उत्तर प्रदेश में हुए प्रदर्शनों का पुलिस की बर्बरता देखी। 30 विश्वविद्यालयों के छात्रों ने मिलकर 19-20 दिसम्बर, 2019 को उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा की फैक्ट फाइंडिंग की तो पाया कि समाज पूरी तरह से हिन्दू-मुस्लिम में बंट गया है। पुलिस भी इससे अछूती नहीं है।उत्तर प्रदेश पुलिस भी लगभग हिन्दू-मुस्लिम में बंट गई है।

पुलिस ने गरीब मजदूर मुस्लिमों को निशाना बनाकर उनको गोली मारी है, उनको जेलों में डाला है और उनके ऊपर सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने का फर्जी मुकदमे किए हैं। इसमें पुलिस ने कई जगहों पर सत्तारूढ़ दल के लोगों तथा अराजक तत्वों की सहायता से एक खास कौम को निशाना बनाया। पुलिस ने मुख्यत:मुस्लिम समुदाय के युवाओं को निशाना बनाया । इसी दौरान उत्तर प्रदेश में सत्ता में मौजूद दल और उसके शीर्ष नेता जिस तरह से बयान दे रहे थे , इससे समाज में बुरा प्रभाव पड़ा है। समाज में साम्प्रदायिकता बढ़ रही है और समाज टूट रहा है। समाज के इस टूट को रोकने के लिए और समाज में प्रेम, भाईचारा बढ़ाने के लिए इन छात्रों ने एक शांति पदयात्रा करने का निश्चय किया जो 2 फरवरी को चौरीचौरा से प्रारंभ करना तय हुआ।

चौरीचौरा को तय करने के पीछे ये तर्क था कि गांधी ने फरवरी, 1922 में चौरीचौरा में हुई हिंसा के खिलाफ असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था क्योंकि गांधी हिंसा के सख्त खिलाफ थे। वो समाज में अंबेडकर और भगत सिंह के विचार जिसमें समाज में समानता की बात है, को फैलाना चाहते हैं जिससे समाज में व्याप्त हिंसा पर रोक लगाई जा सकती है।

अब सवाल प्रदेश की सरकार से है कि क्या ये सरकार इन पदयात्रियों से इतना डर गई है कि इनको जेलों में डाला है और इनसे ढ़ाई-ढ़ाई लाख के मुचलके तथा इतनी ही राशि के दो गैस्टेड ऑफिसर से प्रमाणित बांड भी मांग रही है? क्या ये इतने बड़े अपराधी हैं? क्या समाज में प्रेम , भाईचारा, सौहार्द की बात करना, समानता के बारे में लोगों को बताना अपराध है? क्या सरकार समाज में प्रेम और शांति नहीं चाहती है?

ये सवाल देश की सवाल से भी है क्योंकि इन पदयात्रियों को गिरफ्तार करने के पीछे पुलिस ये भी तर्क दे रही है कि 16 फरवरी को बनारस में प्रधानमंत्री का दौरा है और ये लोग वहाँ बाधा बन सकते हैं। क्या ये पदयात्री प्रधानमंत्री के लिए खतरा हैं?

क्या प्रेम की बात करना, क्या भाईचारा की बात करना कोई खतरा है ?

क्या कोई शांतिमार्च किसी के लिए खतरा हो सकता है?

(आकाश पांडेय, IIMC दिल्ली में हिंदी पत्रकारिता के छात्र हैं।लेख में व्यक्त किए गए विचार उनके निज़ी हैं)

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