उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों के प्रति जीरो टालरेंस की नीति अपनाने की बात कही थी। चुनावी सरगर्मियों के बीच भाजपा गाहे बगाहे दावा कर रही है कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज स्थापित हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगल-अलग मंच से लगातार योगी सरकार के कार्यकाल की तारीफ कर रहे हैं और इस दौरान ‘दुरुस्त कानून व्यवस्था’ की चर्चा करना नहीं भूल रहे।

मगर, इन दावों के इतर कई आंकड़ें हैं जो योगी सरकार की कुव्यवस्था का बखान करते हैं। मामला चाहे महिलाओं की सुरक्षा का हो, दलितों के उत्पीड़न का हो, मानवाधिकार हनन का हो, हिरासत में मौत का हो, हत्या का हो, या नागरिक अधिकारों के हनन का हो… उत्तर सभी में नंबर वन बन चुका है।

योगीराज में असुरक्षित हुईं महिलाएं

महिलाओं के साथ होने वाले क्राइम के मामले में भी उत्तर प्रदेश टॉप पर है। केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा क्राइम उत्तर प्रदेश में किया जा रहा है। साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 49,385 मामले दर्ज कराए गये थे। बलात्कार के मामले में भी उत्तर प्रदेश टॉप सेकंड है। यानी राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश ही वो राज्य है जहां महिलाएं सबसे अधिक बलात्कार का शिकार हो रही हैं। साल 2020 में देश भर में बलात्कार के कुल 28046 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में कुल 2,769 मामले दर्ज हुए।

ताजा आंकड़ों की बात करें तो यूपी के 16 जिलों में पिछले एक माह में 41 लड़कियों से रेप और छेड़छाड़ के संगीन मामले सामने आए। इनमें 33 नाबालिग हैं। सिर्फ एक माह में साढ़े 3 साल की बच्ची लेकर 30 साल की महिला तक से रेप के मामले सामने आ चुके हैं।

हत्या के मामले में भी नंबर-1

NCRB-2020 के आंकड़ों के मुताबिक ही उत्तर प्रदेश हत्या के मामले में नंबर-1 पर है। रिपोर्ट की माने तो साल 2020 में देश में कुल 29,193 मर्डर हुए, जिसमें से अकेले सिर्फ उत्तर प्रदेश में 3,779 हत्याएं हुईं। 2019 की तुलना में ये आंकड़ा ज्यादा है।

दलितों के खिलाफ अपराध में भी नंबर-1

दलितों के खिलाफ होने वाले अपराध में भी उत्तर प्रदेश नंबर-1 है। साल 2020 में देश में दलितों के खिलाफ अपराध के कुल 50,291 मामले दर्ज हुए, जिसमें से अकेले सिर्फ उत्तर प्रदेश में 12,714 मामले दर्ज हुए। 2019 की तुलना में दलितों के खिलाफ होने वाले अपराध का आंकड़ा भी बढ़ा है।

हिरासत में मौत बना नया ट्रेंड

हिरासत में मौत के मामलों में भी उत्‍तर प्रदेश पहले नंबर पर है। यूपी में पिछले तीन साल में 1,318 लोगों की पुलिस और न्‍याय‍िक हिरासत में मौत हुई है। एनएचआरसी के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हुई हिरासत में मौत के मामलों का करीब 23% उत्तर प्रदेश के हिस्से जाता है।

मानवाधिकार हनन में अव्वल है UP

UP में मानवाधिकार घुटने टेक चुका है। पिछले तीन वित्त वर्षों से 31 अक्टूबर 2021 तक आए मानवाधिकार उल्लंघन के कुल मामलों के तक़रीबन 40 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। यानी पूरे देश में सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उल्लंघन योगी शासित उत्तर प्रदेश में हो रहा है।

ये पहला वर्ष नहीं है जब यूपी मानवाधिकार उल्लंघन के लिए कुख्यात हुआ हो। योगी सरकार ने इस मामले में कृतिमान स्थापित कर दिया है, उत्तर प्रदेश लगातार तीन वर्षों से मानवाधिकार उल्लंघन सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहा है।

धारा-144 बना घुटन!

अभी हाल में विधान परिषद में कांग्रेस MLC दीपक सिंह ने सवाल किया था कि यूपी में कब-कब कितने जिलों में धारा-144 लागू की गई है? इसके जवाब में शुक्रवार को विधान परिषद में एक डेटा पेश किया गया। इससे पता चला कि अप्रैल 2017 से अक्टूबर 2021 के बीच कोई भी ऐसा महीना नहीं रहा, जब यूपी में 50 से कम जिलों में धारा 144 लागू न रही हो।

यानी पिछले साढ़े चार साल में कोई भी महीना ऐसा नहीं गया है, जब यूपी की 60 फीसदी आबादी डर के साए में न रही हो। अगर उत्तर प्रदेश में कानून का राज स्थापित हो चुका है फिर नागरिकों पर इतनी पाबंदी क्यों लगाई जा रही है?

सीएम योगी के तमाम धमकी भरे भड़ाऊ और अमर्यादित बयानों से इतर सच्चाई ये है कि उत्तर प्रदेश में हर तरह का अपराध अब भी हो रहे हैं।

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