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प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री जिस मंच पर खड़े थे, उसी मंच पर एक मंत्री पास खड़ी महिला मंत्री को गलत तरीके से छूता है। महिला ऐसे छुए जाने का विरोध करती है। पूरी घटना कैमरे में दर्ज हो जाती है। लेकिन ‘बेटी बचाओ’ का नारा देने वाली BJP अपने ‘पुरूष’ मंत्री का बचाव कर रही है।

घटना 9 फरवरी की है। प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर के तीन राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, असम और त्रिपुरा) के दौरे पर थे। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में एक मंच पर जब प्रधानमंत्री मोदी सीएम बिपल्व देव के साथ गार्जी-बेलोनिया रेलवे लाइन का उद्घाटन कर रहे थे… ठीक उसी वक्त, उसी मंच पर त्रिपुरा में खेल और युवा मंत्री मनोज कांति देब सामाजिक कल्याण मंत्री सांतना चकमा की कमर को गलत तरीके से पकड़ रहे थे।

इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि सांतना चकमा ऐसे छुए जाने का विरोध करती हैं और मनोज कांति देब का हाथ अपने कमर से झटक देती हैं। इसके बाद मनोज कांति देब नहीं मानते और सांतना चकमा के पीछे चिपक कर खड़े हो जाते हैं। चकमा त्रिपुरा की एक युवा आदिवासी नेता हैं।

हालांकि, वायरल हो रही इस वीडियो की सत्यता और प्रामाणिकता की पुष्टि ‘बोलता हिंदुस्तान’ नहीं करता है। वहीं महिला मंत्री सांतना चकमा ने भी अभी तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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लेकिन विपक्षी वाम दल लगातार इस घटना का विरोध कर रहे हैं। इस घटना के खिलाफ वाम दल सड़क पर उतर चुके हैं। सोमवार को राजधानी अगरतला में CPI (M) की महिला कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मोनोज कांती देव को बर्खास्त करने की मांग की है।

वाम मोर्चे के संयोजक बिजन धर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि “अगर दिनदहाड़े और प्रधानमंत्री की मौजूदगी में ऐसी घटना हो रही है तो कानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर मंत्री मनोज कांति देब इस्तीफा नहीं दे रहे हैं तो मुख्यमंत्री को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। साथ ही, उन्हें गिरफ्तार कराना चाहिए।”

विपक्षी वाम मोर्चे के अलावा कांग्रेस भी कार्रवाई की मांग कर रही है। असम से कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने ट्वीटर पर घटना का वीडियो क्लिप शेयर करते हुए लिखा है ‘BJP से बेटी बचाओ’

वैसे बता दें कि वाम मोर्चे की मांग को बीजेपी ने दुष्प्रचार बताया है। खुद मनोज कांति देब का कहना है कि वीडियो से छेड़छाड़ हुई है।

हालांकि ऐसे मामले में महिला का बयान न आना चिंताजनक है क्योंकि वही इस बात की पुष्टि कर सकती हैं कि उन्हें छूने वाले का क्या इरादा था और वो खुद इसपर सहज हैं या नहीं।

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