पूंजीपतियों और राजनेताओं का अनाम गठजोड़ अब देश के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है। यूपीए सरकार हो या मोदी शासन, दोनों का पूंजीपतियों के साथ गलबहियां देश की जनता पर बहुत भारी पड़ रहा है।

हांलाकि दोनों ही सरकारों के शासनकाल में देश की सम्पत्ति की लूट हुई है, लेकिन मोदी सरकार के शासन में पूंजीपति बैंकों में रखे गरीब जनता की गाढ़ी कमाई को लेकर भाग रहे हैं, ऐसा देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है।

अपने चहेतों को लोन दिलवाने के लिए सरकारी बैंकों को 410 अरब रुपये देने वाली है मोदी सरकार – रवीश

वैसे साल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी जिस तरह अड़ानी के निजी चार्टर विमान से प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने दिल्ली आए और बाद में अडानी-अंबानी के लिए देश के खजाने खोले इससे मोदी-बीजेपी-पूंजीपतियों के बीच बने गहरे रिस्ते किसी से छुपे नहीं है।

वीडियोकॉन में डूब सकता है गरीब जनता का 85,000 करोड़ रुपए

विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के बाद देश की जनता का 85000 करोड़ रुपया वीडियोकॉन भी नहीं देने की स्थिति में है। अंग्रेजी अखबार बिजनेस लाईन के अनुसार वीडियोकॉम के एमडी ने विभिन्न अवसरों पर देश की कई बैंकों से 85000 हजारु रुपए कर्ज लिया था, लेकिन वर्तमान खराब माली हालत के कारण वह इसे चुकाने की स्थिति में नहीं है।

सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर उठाए सवाल

वीडियोकॉन के मामले के संज्ञान में आने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार से सवाल किया है और ट्टीट में कहा है, “ अब ‘वीडियोकॉन ग्रूप’ में बैंको का 85,000 करोड़ है डुबने वाला है, वीडियोकॉन में 57,443 करोड़, वीडियोकॉन टेलिकॉम में 24,302 करोड़।” उन्हेंने आगे कहा, “ ये है मोदी जी का कमाल, बैंक कंगाल, जनता का लूटा माल।”

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