लेखिका एवं समाजसेवी अरुंधति रॉय ने कांग्रेस के मेनिफेस्टो में राजद्रोह कानून हटाने के वादे का स्वागत किया है। उन्होंने कांग्रेस के मेनिफेस्टो की तारीफ करते हुए कहा कि ये नफ़रत के मेनिफेस्टो के खिलाफ है।

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ‘पीपुल्स एजेंडा जन सरोकार-2019’ कार्यक्रम में पहुंची अरुंधति रॉय ने बोलता हिंदुस्तान के संवाददाता आदिल वसीम से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस के मैनिफेस्टो में काफी इंसानियत दिखाई देती है, ये बीजेपी के नफ़रत के मैनिफेस्टो के खिलाफ़ है।

अरुंधति रॉय से जब सरकार की आलोचना करने वालों को एंटी-नेशनल और टुकड़े-टुकड़े गैंग कहे जाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “यह सरकार ख़ुद ही एंटी नेशनल है। ये सरकार ही टुकड़े-टुकड़े गैंग है। इस सरकार में सहानुभूति नहीं है”।

उन्होंने कहा, “मुझे गर्व होता है जब ऐसे लोग मुझे एंटी नेशनल कहते हैं। इसका मतलब है कि मैं इन लोगों के खिलाफ हूं”।

इस दौरान लेखिका ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर निशाना साधते हुए कहा कि RSS की विचारधारा से देश के संविधान को ख़तरा है। उन्होंने कहा कि 1925 में RSS पैदा हुई थी, उसी वक्त उसने कहा था कि यह संविधान भारत का नहीं बाहर का है। RSS ने उस वक्त भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किए जाने की मांग की थी।

अरुंधति ने कहा कि अब हर संस्थान में RSS की विचारधारा के लोगों को बिठा दिया गया है। अब ख़तरा संविधान पर मंडरा रहा है। ख़तरा यह है कि इस विचारधारा के लोग संविधान को बदल देंगे।

जब अरुंधति से पूछा गया कि मौजूदा सरकार से देश को क्या ख़तरा है तो उन्होंने कहा कि यह देश अल्पसंख्यकों से भरा हुआ है, यहां हर जाति-धर्म के लोग रहते हैं। लेकिन मौजूदा सरकार बहुसंख्यकवाद की राजनीति करती है, जो अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ है। इसलिए इसे हटाने की ज़रूरत है।

उन्होंने मोदी सरकार को फासीवादी बताते हुए कहा कि इस सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि अगर दो फासीवादी नेता हिटलर और मोदी के बीच तुलना की जाए तो दोनों में फर्क़ यही है कि एक ने देश की अर्थव्यवस्था को ऊपर पहुंचाया तो दूसरे ने अर्थव्यवस्था को तोड़ कर रख दिया।

जब उनसे यह पूछा गया कि सरकार तो आंकड़े पेश कर यह दावा करती है कि उसने भारत की अर्थव्यवस्ता को ऊपर पहुंचाया है तो उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि सरकार आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है, जबकि हक़ीक़त आंकड़ों के उलट है।

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