प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही इस बात का दावा करते हों कि उनकी सरकार ने कश्मीर में हिंसा कम करने की दिशा में बड़ा काम किया है। लेकिन उनके अपने मंत्री वीके सिंह इस दावे से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते। उन्होंने कश्मीर में मनमोहन सिंह सरकार की नीति को अपनी सरकार से बेहतर बताया है।

विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा सरल नहीं है। यह एक छद्म युद्ध का मुद्दा है। यह एक ऐसा मामला है जिसके लिए पहले काम होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह वही दक्षिण कश्मीर है जो 2005 से लेकर 2012 तक शांत रहा।

केंद्रीय मंत्री दक्षिण कश्मीर में जिस दौरान शांति रहने की बात कर रहे हैं। उस समय देश में यूपीए की सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। 2004 से 2014 तक देश में यूपीए की ही सरकार थी। ऐसे में वीके सिंह ने कहा कि 2012 के बाद ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं, ये यूपीए के आखिरी दौर और मोदी सरकार के दौरान की बात कर रहे हैं।

वीके सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि आख़िर क्या वजह है कि 2012 के बाद से दक्षिण कश्मीर इलाके में इतनी तेजी से घटनाओं में वृद्धि देखने को मिली है। क्या आपने इसका विश्लेषण किया है? ऐसा क्यों हुआ?

उन्होंने एक तरह से ग़रीबी को कश्मीर की समस्या बताते हुए कहा कि कुछ युवाओं को पत्थर फेंकने के लिए, कुछ को गाड़ी पर खड़े होकर ‘हम क्या चाहते, आजादी’ का नारा लगाने के लिए पैसे दिए जाते हैं।

यानी ग़रीब घर के युवाओं को पैसा देकर गुमराह किया जाता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह पूरे कश्मीर के युवाओं की भावनाओं को नहीं दर्शाता है।

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