गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार का ऐलान किया गया। पद्म पुरस्कार की सूची में बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का नाम भी शामिल था। लेकिन बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सबको चौकाते हुए पद्म भूषण पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा, “मैं पद्म भूषण सम्मान के बारे में कुछ नहीं जानता। मुझे किसी ने इस बारे में नहीं बताया। अगर मुझे पद्म भूषण सम्मान दिया गया है तो मैं इसे अस्वीकार करता हूँ। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो के पूर्व सदस्य भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक बंगाल के मुख्यमंत्री रह चुके है।

भट्टाचार्य के पद्म भूषण को अस्वीकार करने के बाद गृह मंत्रालय की तरफ से बयान आया है “शीर्ष अधिकारियों ने बीमार बुद्धदेव भट्टाचार्य के घर फ़ोन किया था। उनकी पत्नी ने फोन रिसीव किया और उनकी पत्नी को बुद्धदेव  भट्टाचार्य को पद्म भूषण सम्मान प्रदान करने की जानकारी दी गई थी।”

बता दें कि भट्टाचार्य केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के मुखर आलोक हैं। बुद्धदेव भट्टाचार्य से पहले भी कई हस्तियों ने पद्म पुरस्कार लेने से इंकार किया है। साल 2015 में फ़िल्म लेखक सलीम खान ने पद्म श्री लेने से मना कर दिया था। सलीम खान का कहना था कि, मैं पद्म श्री के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन उन्होंने मुझे इतनी देरी से पद्म श्री देना तय किया। अब उन्हें मुझे कुछ ऐसा देना चाहिए, जो मेरे लेवल का हो। पद्मश्री तो मुझसे जूनियर पचासों लोगों को मिल चुका है। क्या 79 साल की उम्र में मुझे यह मिलना उचित है?

जिस वर्ष सलीम खान ने पद्म सम्मान को इंकार किया था, उसी वर्ष स्वामी रामदेव और श्री श्री रविशंकर ने भी अपने सन्यासी होने का हवाला देते हुए इसके लिए इनकार कर दिया था।

प्रमुख इतिहासकारों व लेखकों में से एक रोमिला थापर तो दो बार पद्म पुरस्कार लेने से इंकार कर चुकी हैं। उनका कहना था कि मैं राजकीय पुरस्कार स्वीकार नहीं कर सकती क्योंकि मैं अकादमिक या फिर मेरे काम से जुड़े हुए संस्थानों से पुरस्कार स्वीकार करती हूं।

बता दें कि इस बार गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 128 पद्म पुरस्कार देने की घोषणा की गई। इसमें 4 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 107 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। ये पुरस्कार राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here