‘नियम टूटने के लिए ही बनते हैं’

ये वाक्य राजनीतिक दलों के लिए एक सूत्र बन चुका है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। तारीखों का ऐलान हो चुका है। यानी आचार सहिंता लागू हो चुका है। लेकिन अफसोस राजनीतिक दल चुनाव आयोग के आचार सहिंता को अचार बराबर भी भाव नहीं दे रहे हैं। नेतागण जमकर धनबल और बाहुबल का प्रदर्शन कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के नेताओं द्वारा तो लगातार ऐसी घटना को अंजाम दिया जा रहा है। ताजा मामला बुलंदशहर से सामने आया है। यहां योगी सरकार में गृह राज्य मंत्री अनिल शर्मा के बेटे चुनाव प्रचार के दौरान लोगों के बीच पैसा बांटते नजर आए हैं। नोट वितरण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया की इस घटना में कोई रूचि नहीं है। अगर विपक्षी दल का कोई नेता ऐसा करते पाया जाता तो मुमकिन है एंकर-एंकराओं की जमात गांधी टोपी पहनकर भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन छेड़ देता।

ख़ैर, मामला घर का है इसलिए सब मौन हैं! लेकिन सोशल मीडिया चुनाव आयोग को लगातार टैक करके सवाल पूछा जा रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग को अपनी गांधारी पट्टी उतारकर संज्ञान लेना पड़ा है। फिलहाल खानापूर्ति के लिए अनिल शर्मा को एख नोटिस भेज दिया गया है।

बता दें कि अनिल शर्मा बुलंदशहर की शिकारपुर सीट से विधायक है और योगी सरकार में भी राज्य मंत्री हैं। इस चुनाव में भी भाजपा ने इन्हें शिकारपुर सीट से टिकट दिया है। नोट वितरण मामले पर मंत्री ‘जी’ का कहना है कि मेरे आपार जन समर्थन को देकर विरोधी डर गए हैं, इसलिए झूठे इल्जाम लगाए जा रहे हैं। हालांकि वीडियो में अनिल शर्मा के बेटे कुश शर्मा को नोट बांटते हुए साफ-साफ देखा जा सकता है।

ये पहला मामला नहीं है जब सत्ताधारी भाजपा के नेताओं द्वारा आचार सहिंता उल्लंघन किया गया हो। इससे पहले अमित शाह ने पश्चिमी यूपी के कैराना सीट पर कथित डोर टू डोर कैम्पेन के दौरान आचार सहिंता की धज्जियां उड़ाई थी।

अमित शाह के डोर टू डोर कैम्पेन में जहां तक आँखें देख सकती हैं, वहां तक सिर्फ लोग ही लोग नज़र आ रहे थे। ज्यादातर लोग बिना मास्क थे। खुद अमित शाह भी बिना मास्क ही लोगों से मिल रहे थे। हाथ मिला रहे थे। पर्चा बांट रहे थे। गमछा ले रहे थे। सबका अभिवादन कर रहे थे।

इतना ही नहीं कैराना की तंग गलियों में अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ अमित शाह छोटे-छोटे बच्चें से माला और गमछा पहनते नज़र आए, तो कहीं कही बच्चों को मिठाई खिलाते नजर आए। बुगुर्गों से भी मिलना जुलना खूब हुआ।

कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि अमित शाह जितने लोगों की जिंदगी खतरे में डाल सकते थे। डाल दिया। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर चुनाव आयोग के नियम-कायदों की धज्जियां भी उड़ा दी।

अमित शाह ने जिस डोर टू डोर कैम्पने के नाम पर ये सब किया है, उस डोर टू डोर कैम्पने को सिर्फ पांच लोगों के साथ करना था। लेकिन अमित शाह की सुरक्षा में ही 10 से ज्यादा लोग मौजूद थे। ऐसे में अमित शाह ये भी नहीं कह सकते कि वो तो डोर टू डोर कैम्पेन ही कर रहे थे, लेकिन लोग अपने आप साथ चलने लगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here