योगी सरकार भले ही उत्तर प्रदेश में अपराध रोक पाने में असफल हो रही हो। मगर उसे उसके खिलाफ बोलने वालों पर एक्शन लेने या कहे सबक सिखाने का तरीका पता है। देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रदेश की पुलिस ने पिछले दिनों दिल्ली-नोएडा क्षेत्र से तीन मीडिया कर्मियों को गिरफ़्तार किया था।

जिसके बाद उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। और एक पत्रकार के ख़िलाफ़ तो खुद एक पुलिस अधिकारी ने उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही एफ़आईआर दर्ज करा दी गई। जिसके बाद ये साफ़ हो गया की अब योगी प्रदेश में दमन, भय की राजनीति का नया अध्याय शुरू करने जा रहे है। इस घटना के बाद यूपी के शामली में एक पत्रकार को सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि वो पटरी से उतरी ट्रेन का वीडियो शूट करने गया था।

शामली में पत्रकार को पुलिस वालों ने बेरहमी से पीटा, आरोप- पत्रकार के मुँह पर की गई पेशाब

जिसके बाद पत्रकार के साथ जीआरपी पुलिसवालों और कर्मचारियों ने बदसलूकी की और पत्रकार अमित शर्मा के माने तो उनपर पेशाब भी किया है। उन्हें बिना किसी जुर्म के जेल में ठूस दिया गया। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद दोनों पुलिस वालो को ससपेंड कर दिया गया है। मगर क्या ये सही है कि बिना किसी जुर्म के किसी भी पत्रकार को जेल ठूस देना?

कल्पना कीजिए कि एक जेल में हत्या-लूट और बलात्कार के आरोपी और उसी जेल में पत्रकार है जो हमेशा सड़कों पर उन लोगो की आवाज बनता है जिनकी सरकार नहीं सुनती। ये एक बार को मान भी लिया जाये की एक पत्रकार ने सीएम योगी पर अभद्र टिप्पणी की जिससे उनकी छवि ख़राब हुई। इसके साथ ही किसी ऐसे को जेल में बंद करके पीटना क्या सही है जो रेलवे में हो रहे करप्शन पर अपनी रिपोर्ट पहले भी दे चुका है।

अगर मेरे खिलाफ फर्जी खबर चलाने वालों को जेल भेजा जाए तो कई चैनलों में पत्रकारों की कमी हो जाएगी

इस मामले पर मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर लिखा- योगी जी, आज आपका ये रामराज देखकर भारत माता भी चुपके-चुपके रोई होगी! कुछ लोग गोद में ना जा बैठते, तो लोगों को यूँ रौंदा ना जाता।

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