कोरोना की पहली लहर आपको याद होगी। देश की मीडिया और एक पार्टी विशेष के समर्थकों ने इस दौरान ऐसा माहौल बनाया था जैसे इस देश में कोरोना मुसलमानों की वजह से ही फैला है। नफरत और घृणा की राजनीति की यह चरम अवस्था थी।

पिछले साल जिस दौर में कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी, उस दौरान देश की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात के मरकज में एक धार्मिक आयोजन के लिए करीब 3000 लोग इकट्ठे हुए थे।

इस कार्यक्रम को सरकार की मंजूरी हासिल थी। वहीं इस आयोजन में विदेशी नागरिक भी शामिल थें जिन्हें भारत सरकार ने वीजा और अनुमति दे रखी थी, फिर भी तब्लीगी जमात को देश की मीडिया ने कोरोना का एकमात्र स्त्रोत बताया था।

एक बार फिर कोरोना ने अपना रौद्र रुप दिखाना शुरु कर दिया है। इसी दौरान भाजपा शासित उत्तराखंड में महाकुंभ चल रहा है। लाखों की संख्या में लोग इस महाकुंभ में शामिल हो रहे हैं।

इतना ही नहीं इसमें शामिल होने वाले कई साधु संत कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। रविवार के दिन इस महाकुंभ में कोरोना का विस्फोट हो गया।

महाकुंभ में शामिल होने वाले 401 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, जूना अखाड़े के नितिन गिरी भी शामिल हैं।

तब्लीगी जमात को पानी पी पीकर कोसने वाली गोदी मीडिया भी महाकुंभ में कोरोना विस्फोट पर खामोश हैं। पता नहीं उनकी आवाज कहां खो गई है या फिर अब भारतीय मीडिया का एकमात्र लक्ष्य अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने का है।

मामला महज मुसलमानों का ही नहीं है। अपनी वीरता और देशभक्ति के लिए जाने जाने वाले सिख समुदाय के लोग जब अपने हक अधिकार के लिए आंदोलन करते हैं तो यही गोदी मीडिया और पार्टी विशेष के समर्थक उन्हें खालिस्तानी कहने में एक मिनट की देरी नहीं लगाते।

कर्नाटक कांग्रेस के नेता श्रीवत्स ने ट्वीटर पर लिखा है कि “तब्लीगी जमात को मीडिया ने कोरोना का सिंगल सोर्स कहा था, जबकि इसमें कुल 2500 लोग शामिल थें और मामले सिर्फ 1000 थे। क्या गोदी मीडिया को कुंभ मेले को सिंगल सोर्स कहने की हिम्मत है!

जब लाखों लोग इसमें शामिल हों रहे हैं और कोरोना के मामले प्रति दिन 1.7 लाख के आंकड़े को पार कर चुके हैं. भक्तों और मीडिया की बेशर्मी चुप्पी !

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