स्वामी चिन्मयानंद ने मेरी विवशता का फ़ायदा उठाकर धोखे से मेरा नहाते वक़्त का वीडियो बनाया, फिर उससे ब्लैकमेल करके मेरा रेप किया और फिर उसका भी वीडियो बनाकर एक साल तक मेरा शोषण करते रहे। मुझे लगा कि इनको इसी तरह से जवाब दिया जा सकता है क्योंकि इनसे लड़ने की न तो मेरी हैसियत थी और न ही मुझमें ताक़त थी।
ये बयान एक लॉ छात्रा का है जिसने मोदी सरकार में मंत्री रहें स्वामी चिन्मयानंद पर ये आरोप लगाया है। एक बार को कल्पना की जानी चाहिए की अगर ये आरोप किसी मौलाना, या किसी पादरी पर लगता तो भारतीय मीडिया सिर्फ रिपोर्ट नहीं दिखाता बल्कि चीखता की और सुर्खिया बनता देखिये मौलाना या पादरी की काली करतूत।
मगर मामला क्योंकि बीजेपी से जुड़ा हुआ तो बोलने का जोखम कौन उठाए। वो तब जब एक साल पहले ही (दूसरे मामले में) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चिन्मयानंद पर लगे बलात्कार केस को वापस ले चुके हो। बीबीसी के अनुसार पीड़ित लड़की और उसके पिता ने सबूत के तौर पर कुल 43 नए वीडियो एसआईटी टीम को सौंपे हैं।
मगर मीडिया इस मामले पर ऐसा मौन है जैसे उसे किसी का डर हो। यही मीडिया अखिलेश सरकार में मंत्री रहें गायत्री प्रजापति पर जब यौन शोषण का आरोप लगा तो प्रजापति के इस्तीफा देने तक लगातार खबरें करता रहा।
मगर अब यही मीडिया मौन है, जैसे उन्नाव में मौन था और कठुआ में भी और आगे भी शायद ही मौन ही रहे क्योंकि मामला बीजेपी से जुड़ा हुआ है जो केंद्र और राज्य की सत्ता में काबिज है। ऐसे में कैसे मान लिया जाये कि मीडिया अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है। एसआईटी जांच के बाद से स्वामी पर टीवी मीडिया शांत बैठा है, खासकर हिंदी मीडिया, जो सबसे ज्यादा लोगों की हित की बात रखने का दावा करता है।
कोई चैनल सबसे तेज होने का दावा करता है तो कोई खुद को ही देश की आवाज बता रहा है। मगर कठुआ से लेकर उन्नाव तक और शाहजहांपुर तक के बलात्कार मामलों पर मीडिया की रिपोर्टिंग इतनी शर्मनाक है कि इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
'भक्तिभाव' में डूबे पत्रकारों में से कितनों ने इन स्वामी जी पर एक लाइन भी खर्च किया है? कितने चैनलों ने पीएम/सीएम से सवाल पूछते हुए कार्रवाई के लिए मुहिम चलाई ? कितनों ने मौन धारण रखा?
अगर किसी बड़े मुस्लिम धर्मगुरु पर यही आरोप लगा होता तो ये सब मिलकर मिट्टी खोद दिए होते.. https://t.co/X1WzEhQ4DF— Ajit Anjum (@ajitanjum) September 17, 2019
इन्हीं मामलों की मीडिया नज़रअंदाजी पर पत्रकार अजीत अंजुम ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया है। अजीत अंजुम ने लिखा- ‘भक्तिभाव’ में डूबे पत्रकारों में से कितनों ने इन स्वामी जी पर एक लाइन भी खर्च किया है? कितने चैनलों ने पीएम/सीएम से सवाल पूछते हुए कार्रवाई के लिए मुहिम चलाई? कितनों ने मौन धारण रखा? अगर किसी बड़े मुस्लिम धर्मगुरु पर यही आरोप लगा होता तो ये सब मिलकर मिट्टी खोद दिए होते।