देश में इस समय राफेल विमान सौदे में हुए भ्रष्टाचार को लेकर मोदी सरकार चारों ओर से घिरती नज़र आ रही है। सुप्रीम कोर्ट में दी गई गलत जानकारियों को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

कल सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट में झूठ़ बोल दिया है।

जिसमें मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जिस सीएजी रिपोर्ट का जिक्र किया है वह आज तक बनी ही नहीं है। साथ ही उन्होंने फैसला से नाराज हो कर कहा कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री मोदी को भ्रष्टाचारी साबित करके दिखाएगी।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा मोदी सरकार को दी गई राहत के बाद कांग्रेस के पास एक मात्र जो रास्ता बचा है वह संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच का ही है।

कांग्रेस पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने अब मोदी सरकार को घेरने के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की मांग की है। कल हुई कांग्रेस पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी समिति के गठन की मांग की गई थी।

लेकिन मोदी सरकार राफेल मामले को लेकर संयुक्त संसदीय समिति के गठ़न को मानने के लिए जरा भी तैयार नहीं है। मोदी सरकार चाहती है कि संसद में इस मुद्दे पर चर्चा तो हो लेकिन समिति के गठ़न की मांग ना की जाए।

आपको बता दें कि इस वक्त संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। जिसे विपक्षी पार्टियों द्वारा संयुक्त संसदीय समिति के गठ़न की मांग के चलते कई बार स्थगित किया जा चुका है। संसद के दोनों सदनों में विपक्ष राफेल पर संयुक्त संसदीय समिति के गठ़न को लेकर अड़ चुकी है।

देश के वित्त मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए राफेल सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठ़न की मांग को मानने से इनकार कर दिया है।

संयुक्त संसदीय जांच (जेपीसी) की कांग्रेस की मांग पर पूछे गए सवाल पर जेटली ने कहा कि केवल न्यायिक निकाय ही इस तरह की जांच कर सकती है क्योंकि पहले ऐसा देखा गया है कि जेपीसी पक्षपाती रही है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला निर्णायक है और सौदे के बारे में किसी संदेह की गुंजाइश नहीं छोड़ता।

लेकिन उनके इस बयान के बाद एनडीटीवी के पत्रकार शरद शर्मा ने सवाल उठ़ाए हैं। उन्होंने बीजेपी को लताड़ते हुए लिखा है कि लेकिन 2010 में जब आप विपक्ष में थे तो आपने 2G घोटाले की जांच के लिए JPC की पुरज़ोर मांग करते हुए पूरा संसद सत्र नहीं चलने दिया था?

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