ऐसे छात्र जो आगे पढ़ नहीं पाते, जो गरीब परिवार से आते हैं, खाना नहीं ला सकते, उनके लिए सरकार ने ‘मिड- डे’ मील की शुरूआत की थी। साल 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया था कि सभी सरकार स्कूलों में बच्चों को दिन का खाना मुहैया कराया जाए।

बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि बिहार में लगभग 71 हज़ार सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूल हैं। इन स्कूलों में करीब एक करोड़ 20 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन सबको मिड-डे मील परोसा जाता है। मिड-डे मील बनाने के लिए दो लाख 48 हज़ार कुक हैं। इनमें अधिकतर महिलाएं हैं जो रोज़ाना 7-8 घंटे काम करती हैं।

लगभग 300 बच्चों के लिए खाना बनाने के लिए हर महिला को प्रति माह 1250 रुपये मिलते हैं। इन महिलाओं में भी अधिकतर संख्या अनूसूचित जाति, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से आने वाली महिलाओं की है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं जमींदारों के अत्याचार से खेती-मज़दूरी जैसे काम नहीं करना चाहती।

मिड-डे मील योजना के तहत खाना बनाने वाले ‘वॉलन्टियर्स’ हैं ‘वर्कर्स’ नहीं। इन्हे वेतन नहीं मिलता। बल्कि ऑनोरेरियम मिलता है। पेंशन, मेडिकल जैसी कोई सुविधा भी इन्हे नहीं दी जाती। गर्मियों की छुट्टी में स्कूल दो महीने बंद रहता है। इसके चलते उन्हें दस महीने काम मिलता है। इस हिसाब से पूरे साल का हिसाब लगाया जाए तो इन महिलाओं की आमदनी रोजाना 37 रु  है। मात्र 37 रुपए।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 2011 के एक फ़ैसले का हवाला देते हुए मार्च 2017 में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के संयुक्त सचिव अजय टिकरे ने बिहार के शिक्षा मंत्रालय के प्रमुख सचिव आरके महाजन को एक पत्र लिखा।

उन्होंने बताया की ये एक पार्ट-टाइम जॉब है क्योंकि दिन भर में केवल एक वक़्त का खाना बनाना है। इसलिए कुक को किसी मज़दूर को दिए जाने वाले न्यूनतम वेतन के बराबर पैसा नहीं दिया जा सकता है। जबकि हकीकत ये है कुक को 7-8 घंटे काम करना पड़ता है।

इस मामले को पर प्रतिक्रिया देते हुए भाकपा-माले के नेता राजू यादव ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि ’37 रु में तो एक आदमी ठीक से चाय-नाश्ता भी नहीं कर सकता! लेकिन बिहार के 71 हज़ार सरकारी स्कूलों के 1.2 करोड़ बच्चों के लिए मिड-डे मील बनाने वाले रसोइया को प्रतिदिन सिर्फ 37रु मिलता है। वो भी साल के सिर्फ 10 महीने। मोदी-नीतीश शर्म करो!’ 

बता दें कि भाकपा-माले नेता राजू यादव इस बार बिहार के आरा लोकसभा सीट से महागठबंधन के उम्मीदवार हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजू तीसरे नंबर रहे थे, राजद उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे और बीजेपी नेता राज कुमार सिंह की जीत हुई थी।

लेकिन इस बार समीकरण पिछले चुनाव से एकदम अलग है। राजद और अन्य विपक्षी दलों के महागठबंधन ने इस सीट पर राजू यादव को समर्थन दिया है। पिछले चुनाव में बिना गठबंधन के राजू ने 98,805 हालिस किए थे।

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