बीजेपी के कद्दावर नेता रह चुके यशवंत सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने पीएम मोदी के फ़ैसलों पर सवालिया निशान लगाते हुए उनकी तुलना 14वीं सदी के दिल्ली के विवादित शासक मोहम्मद बिन तुगलक से कर डाली।

उन्होंने पीएम मोदी का नाम लिए बगैर ट्वीट कर लिखा, “मोहम्मद बिन तुगलक ने विमुद्रीकरण किया। उसने भी विकलांगों सहित तमाम लोगों को दिल्ली से दक्कन के दौलताबद पैदल चलने के लिए मजबूर किया। जिसमें कई लोग रास्ते में ही मर गए। क्या आपको समानता दिखती है?”

इससे पहले भी यशवंत सिन्हा ने मज़दूरों की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने सरकार पर आरोप लगते हुए कहा था कि उसने मज़दूरों को मारने के लिए छोड़ दिया, वो अपनी ज़िम्मेदारी को नहीं निभा रही।

8 मई को यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर कहा था, “प्रवासी मजदूरों को मरने के लिए छोड़ दिया गया। भारत सरकार ने अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह त्याग दी है। हमारे इतिहास में किसी ने ऐसी असंवेदनशील सरकार कभी नहीं देखी। लोग इसे (सरकार को) ऐसी बेरहमी के लिए कभी माफ नहीं करेंगे।”

ग़ौरतलब है कि मोदी सरकार के लॉकडाउन के फैसले का सबसे बुरा प्रभाव प्रवासी मज़दूरों पर पड़ा है। लॉकडाउन में काम बंद होने की वजह से प्रवासी मजदूरों के सामने भुखमरी की समस्या खड़ी हो गई है। वो इस समस्या से बचने के लिए अपने घर लौटना चाहते हैं, लेकिन सरकार उनके लिए कोई प्रबंध नहीं कर रही। जिसके चलते वो पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफ़र तय कर रहे हैं। ऐसे में वो हादसों का भी शिकार हो रहे हैं।

बीते दिनों ही औरंगाबाद में 16 प्रवासी मजदूर ट्रेन से कटकर मर गए थे। सरकार की बदइंतेजमी का शिकार ये मज़दूर अपने घरों के लिए पटरी के रास्ते निकले थे। मज़दूरों को नहीं मालूम था कि जिस पटरी पर उनके लिए ट्रेनें नहीं चलाई जा रही उसपर मालगाड़ियां धड़ल्ले से दौड़ रही हैं। जानकारी के इसी अभाव में वो थककर पटरी पर ही सो गए और उन्हें मालगाड़ी ने कुचल दिया। इसी तरह कई मज़दूर सड़क पर पैदल चलने के दौरान भी हादसे के शिकार हुए हैं। ऐसे हादसों की फेहरिस्त लंबी है।

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