नए कृषि कानून से नाराज़ किसान सड़कों पर हैं। वह लगातार 6 दिनों से अपनी मांगों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

उनके इन आंदोलन को कुछ मीडिया संस्थाओं द्वारा बदनाम किए जाने की कोशिश भी की जा रही है। जिसके ख़िलाफ़ अब किसानों ने मोर्चा खोल दिया है।

किसानों ने साफ़ कर दिया है कि उन्हें बदनाम करने वाले चैनलों को वह आंदोलन की कवरेज नहीं करने देंगे। किसानों द्वारा मीडिया का विरोध किए जाने का एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें किसान हाथों में कुछ तख्तियां लिए नज़र आ रहे हैं।

इन तख्तियों पर ज़ी न्यूज़, रिपब्लिक टीवी और आजतक को गोदी मीडिया बताया गया है। साथ ही इन चैनलों को फेक मीडिया बताते हुए आंदोलन की कवरेज न करने के लिए कहा गया है।

वीडियो में एक किसान को ये बोलते हुए सुना जा सकता है कि ये तीन चैनल उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। ये गोदी मीडिया हैं, जो कभी सच नहीं दिखा सकते।

वीडियो में किसान कहता है कि इन चैनलों ने दिखाया कि किसानों ने चक्का जाम वाले दिन पुलिसवाले को कुचलने की कोशिश की। जबकि ये एकदम झूठ है, यहां किसानों द्वारा लंगर किए जा रहे हैं, जिसमें पुलिसवाले भी खाते हैं।

किसान ने आगे कहा कि ये चैनल बेशर्मी की हद पार कर चुके हैं, इसलिए मेरी सभी किसान भाइयों से अपील है कि वह इन तीन चैनलों को अपना इंटरव्यू न दें। इन चैनलों का पूरी तरह से बहिष्कार करें।

गोदी मीडिया का बहिष्कार करने वाले किसानों के इस वीडियो को पत्रकार विनोद कापड़ी ने ट्विटर पर शेयर किया है।

उन्होंने लिखा, “ये सब देखना सुनना दुखद है”। वहीं पत्रकार अभिसार शर्मा ने भी इस वीडियो को रिट्वीट करते हुए लिखा, “गोदी मीडिया को भी अपना “न्यूनतम गिरावट मूल्य” तय करना होगा। कितना गिरोगे ? कितना ज़लील होंगे?”

बता दें कि इससे पहले हरियाणा के सिंघु बार्डर पर आजतक के रिपोर्टर और कैमरामैन को किसानों के ग़ुस्से का सामना करना पड़ा था। तब किसानों ने आजतक पर झूठी ख़बरें चलाने का आरोप लगाते हुए उसके रिपोर्टर और कैमरामैन को घेर लिया था। जिसके बाद रिपोर्टर और कैमरामैन को वहां से जाना पड़ा था।

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