पुलवामा हमले के बाद शुरू हुई राष्ट्रवादी बहसों का अंत अभिनंदन की वापसी के साथ हो गया था। अब सीमा पर वही तनाव है जो पूरे साल रहता है। जनता को सेना, पाकिस्तान, राष्ट्रवाद.. आदि पर चर्चा करने में अब ज्यादा इनट्रेस्ट नहीं है। सब अपनी-अपनी जिंदगी की जद्दोजहद से जूझने में लगे हैं।

लेकिन आम जनता तो दिखने वाले न्यूज चैनलों पर अब भी पाकिस्तान, सेना, एयर स्ट्रइक को लेकर बहस हो रही है। अब पाकिस्तान से कोई खबर नहीं मिल रही है तो भारतीय नेताओं के बयान पर डिबेट शो बनाए जा रहे हैं। गोदी मीडिया को पता है इस मुद्दे से ही बीजेपी को फायदा होगा इसलिए शो जारी है।

बीजेपी को सेना की बहादूरी को वोट में बदलना तो इसलिए नरेंद्र मोदी इस मुद्दें को छोड़ना नहीं चाहते। विपक्ष के भी कूछ नेता हैं जो इस मुद्दे पर अटके हुए हैं। हालांकि बीजेपी इस मामले पर इतना झूठ बोल रही है कि विपक्ष का सवाल करना मजबूरी बन चुका है।

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक करने के बाद यही बताया कि उन्होंने आतंकियों के ठिकाने नष्ट किए हैं, कितने आतंकी मारे गए इसका स्पष्ट आंकड़ नहीं है। लेकिन मीडिया और भाजपा दोनों आंतकियों के मारे जाने का आंकड़ा बताते रहे… मीडिया में ये आंकड़ा 200 से 600 तक। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के मुताबिक 250 आतंकी मारे गए। सुब्रमण्यम स्वामी के मुताबिक 300, दिनेश शर्मा के मुताबिक 400, योगी आदित्यनाथ के 400, वीके सिंह के मुताबिक 250, राजनाथ सिंह के मुताबिक बालाकोट में 300 मोबाइल सक्रिय थे (NTRO का आंकड़ा)

सेना ने आंकड़ों को लेकर किसी तरह का क्लेम नहीं किया। जनता को फिर भी अपनी सेना की बहादूरी पर कोई शक नहीं था और ना ही है। लोग सेना की बातों से संतुष्ट हैं लेकिन जब बीजेपी की तरफ से आंकड़ा बताया जाने लगा तो लोगों ने आंकडों का सबूत मांग लिया।

अब सबूत मांगने वालों को बीजेपी गद्दार बता रही है, सेना का मनोबल तोड़ने वाला बता रही है। जबकि सेना ने तो कोई आंकड़ा दिया ही नहीं, इसलिए सेना से कोई सबूत मांग ही नहीं रहा। आंकड़ा तो भाजपा दे रही है इसलिए सबूत भी भाजपा से मांगा जा रहा है।

लेकिन मीडिया हमेशा की तरह भाजपा से किए जा रहे सवालों को सेना पर लेकर जा रही है। 5 मार्च को आज तक के शो ‘दंगल’ में डिबेट का मुद्दा था ‘दूध मांगोगे तो खीर देंगे सबूत मांगोगे तो…’

…चीर देंगे लिखा नहीं गया, समझदार जनता पर छोड़ दिया गया कि वो खाली जगहों को भर लेगी। कुल मिलाकर अब न्यूज चैनल चीर-फाड़ पर उतर आए हैं। शो के एंकर रोहित सरदाना का सवाल है कि सेना जान लड़ाए, सबूत भी लेकर आए?

ये सवाल एकदम बीजेपी टाइप है। कोई सेना से सबूत मांग ही नहीं रहा। क्योंकि सेना ने कोई आंकड़ा ही नहीं दिया। आंकड़ा तो बीजेपी दे रही है इसलिए सबूत भी बीजेपी से मांगा जा रहा है। इसमें दिक्कत क्या है? बीजेपी भी सेना की तरह कर दे कि उसे नहीं पता एयर स्ट्राइक में कितने आतंकी मरे हैं। लेकिन बड़ी संख्या में मरे हैं। बात खत्म।

लेकिन बीजेपी नेता तो 260 से लेकर 400 तक का आंकड़ा दे रहे हैं। जब आंकड़ा दे रहे हैं तो सबूत भी दें। रोहित का अगला सवाल है सबूतों वाली सियासत से सेना से नाइंसाफी? यहां प्रश्नचिह्न छलावा जैसा है। अपनी बात कहनी है तो प्रश्नचिह्न लगाकर कह दो। ठीक है लगाया है प्रश्नचिह्न तो मान लेते हैं।

लेकिन दिक्कत ये है कि सबूत क्यों न मांगा जाए? सबूत सेना तो आंकड़ा दे नहीं रही है। बीजेपी आंकड़ा दे रही है तो सबूत भी दे। रोहित का तीसरा सवाल डिबेट को बैलेंस करने के लिए है जो आमतौर पर होता नहीं है।

ख़ैर मीडिया हो रहे इस तरह के डिबेट ही जनता से छलावा है। आज पांच मार्च को देशव्यापी भारत बंद था। इस बंद को तमाम विपक्षी संगठनों, आदिवासी संगठनों, दलित संगठनों का समर्थन प्राप्त है। राजधानी दिल्ली की सड़कों पर हजारों लोग आंदोलन कर रहे थे। बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, यूपी, एमपी समेत कई राज्यों में भारत बंद का असर दिखा।

ये बंद आदिवासियों को जंगल से बेदखल करने के फैसले और 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ था। आज के भारत बंद की वजह से मोदी सरकार बैकफुट पर दिखी लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया में इस भारत बंद पर चर्चा नहीं हो रहा है, क्यों? युवा रोजगार के लिए लगातार प्रदर्शन, आंदोलन कर रहे हैं, आशा-आंगवाड़ी महिलाएं पीएम के झूठ के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन गोदी मीडिया ये मुद्दें गायब है, बचा है सिर्फ कथित राष्ट्रवाद। ये बात सही है कि टीवी मीडिया जनता विरोधी हो चुकी है।

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