जी हां, यही हाल हो गया है हमारे देश का। पहला प्रधानमंत्री था देश को श्मशान और कब्रिस्तान के नाम पर वोट मांगा करता था। आज पूरा देश सचमुच श्मशान में तब्दील हो गया है। जिधर देखो लाशें ही लाशें। इसके लिए जिम्मेवार कौन है?

सवाल यह नहीं कि बस्तियां जलाई किसने बल्कि सवाल तो यह है कि कातिल के हाथ में माचिस दी किसने?

देश की इस दुर्गति के लिए जिम्मेवार हम खुद है क्योंकि हमें ऑक्सीजन और अस्पताल नहीं चाहिए था, हमें तो बस मंदिर मस्जिद और हिंदू मुसलमान करना था।

इसकी सजा देश के लाखों निर्दोष लोगों को मिली. एक लापरवाह और अहंकारी शासन की वजह से लाखों लोग ऑक्सीजन की कमी की वजह से बेमौत मारे गए।

ये जो तस्वीर आपके सामने हैं, ये बिहार की है. बिहार की राजधानी पटना की है। पटना रेलवे जंकशन के एक छोर पर स्थित है करबिगहिया इलाका। करबिगहिया में रेलवे अस्पताल है।

यहां पर ऑक्सीजन नहीं मिल पाने की वजह से वार्ड नंबर 404 के बेड नंबर 5 पर एक मरीज की मृत्यु हो गई। बड़े भाई का इलाज करा रहा छोटा भाई ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर सका और जिस बेड पर बड़े भाई ने दम तोड़ा था, वहीं पर गिर गया।

जन अधिकार पार्टी के नेता और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और लिखा कि

समय से ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से बड़े भाई की मौत हो गई. छोटा भाई ये बर्दाश्त नहीं कर सका और उसकी हार्ट अटैक से मौत हो गई.

दानापुर के डीआरएम से बात की तो उन्होंने कहा कि जब देश का पीएम कुछ नहीं कर पाता है तो वह क्या कर सकते हैं। पप्पू यादव ने आगे लिखा है हत्यारे हैं सारे !

ये सच है कि जिस वक्त में सरकार को कोरोना के विरुद्ध संघर्ष का शंखनाद कर देना चाहिए था, सरकार ने लापरवाही बरती और खुद की सारी उर्जा पश्चिम बंगाल के चुनाव में लगा दी।

देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को जब उच्च स्तरीय बैठकें करनी शुरु कर देनी चाहिए थी, वैसे विकट दौर में सारी शर्मो हया और लोकलाज को ताक पर रखकर ये चुनाव प्रचार करते रहें. रोड शो और रैलियां करते रहें।

जानबूझकर देश को कोरोना की आग में झोंका गया. ऐसे में पप्पू यादव सही तो बोल रहे हैं, हत्यारे हैं सारे !

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