बिहार की राजधानी पटना के सभी 3 श्मशान घाटों को अब निजी एजेंसियों को सौंप दिया जाएगा। पटना नगर निगम के नगर आयुक्त ने इस बाबत फैसला ले लिया है।

सूत्रों की मानें तो अप्रैल महीने के अंत तक निविदा की प्रक्रिया भी शुरु हो जाएगी। अब गंगा नदी के किनारे बने तीनों घाटों पर इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का संचालन, देखरेख और मेंटनेंस निजी एजेंसियों के हवाले होगा।

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है।

तेजस्वी यादव ने ट्वीटर पर लिखा है कि सीएम नीतीश कुमार ने पटना के श्मशान घाटों का भी निजीकरण कर दिया।

तेजस्वी ने कहा कि बिहार की निकम्मी एनडीए सरकार ना तो जिंदा लोगों को संभाल पा रही है और नहीं मृत को। नीतीश सरकार पर करारा प्रहार करते हुए तेजस्वी ने कहा कि धिक्कार है ऐसी नाकारा, निष्ठुर और बेशर्म सरकार पर।

तेजस्वी के इस ट्वीट पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिली। चंद्रकांत यादव लिखते हैं कि अगर श्मशानों का निजीकरण नहीं करेंगे तो डबल इंजन में तेल कहां से डालेंगे ?

एम्मी नामक यूजर ने लिखा है कि सरकार ऐसा इसलिए कर रही है ताकी कोरोना की आड़ में जिन काले कारनामों को अंजाम दिया जा रहा है, वो बाहर न जाएं!

वहीं आलोक स्वतंत्र लिखते हैं कि जब सबकुछ निजी हाथों को ही सौंपना है तो फिर ये मंत्री संतरी और तामझाम क्यों ?

मालूम हो कि राजधानी पटना में फिलहाल बांस घाट, गुलबी घाट और खाजेकलां घाट पर लाशों का अंतिम संस्कार किया जाता है।

कोरोना काल के दौरान जब बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हो रही है, वैसे में इन श्मशान घाटों पर तैनात नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा अक्सर लोगों को परेशान करने की शिकायतें आती रहती हैं।

सरकार का कहना है कि नगर निगम के कर्मचारी जान बूझ कर इन तीनों श्मशान घाटों के मशीनों को खराब कर देते हैं।

लोग जल्दी से जल्दी लाश जला देना चाहते हैं। ऐसे में कर्मचारी मौके का फायदा उठाते हैं और लाश जलाने आए परिजनों से मोटा माल वसूलते हैं।

अब सरकार यह दावा कर रही है कि निजी एजेंसियों के हाथों मे श्मशान घाट सौंप देने से इस प्रकार की घटनाएं बंद हो जाएंगी.

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