जिस नागरिकता कानून को मोदी सरकार देशहित में बता रही है, उसने देश के लोगों में ख़ौफ पैदा कर दिया है। ये खौफ़ इस कदर है कि अब लोग किसी तरह के भी सर्वेक्षण को नागरिकता कानून से ज़ोड़कर देख रहे हैं और उसे पूरा होने में बाधा डाल रहे हैं।
ऐसा ही एक नज़ारा उत्तर प्रदेश के बिजनौर में देखने को मिला। जहां आर्थिक सर्वेक्षण करने पहुंची एक टीम को लोगों के ग़ुस्से का सामना करना पड़ा। दरअसल, बिजनौर के एक गांव में आर्थिक गणनाकारों की एक टीम पहुंची थी, लेकिन जब टीम ने गांव का सर्वेक्षण शुरु किया तो लोगों को लगा कि ये सर्वेक्षण CAA-NRC के लिए हो रहा है। जिसके बाद लोगों ने आर्थिक गणनाकारों का विरोध शुरु कर दिया और कथित तौर पर उनके साथ हाथापाई की।
आर्थिक गणनाकारों की टीम ने लोगों के इस विरोध के बारे में जिला मजिस्ट्रेट (DM) रमाकांत पांडे को चिट्ठी लिखकर अवगत कराया है। रमाकांत पांडे का कहना है कि अगर टीमों को किसी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, तो उसे ठीक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक जनगणना में किसी तरह की बाधा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
समस्या के बारे में जानकारी देते हुए जिला आर्थिक एवं सांख्यिकी अधिकारी हरेंद्र मलिक ने कहा कि हमारी टीमों को अल्पसंख्यक-बहुल इलाकों में विरोध का सामना इसलिए करना पड़ा रहा है, क्योंकि लोग इसे NRC से जोड़ कर देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान उनकी टीम के कुछ सदस्यों के साथ हाथापाई भी की गई है।
हरेंद्र मलिक ने बताया कि अब हमने ग्राम प्रमुखों और निगमाध्यक्षों से सर्वे करने तथा लोगों को समझाने में हमारी टीमों की मदद करने के लिए कहा है। हमारी टीमें उन्हें समझाने के प्रयास कर रही हैं कि यह रूटीन काम है, जो सालों से होता आ रहा है। इसका NRC या CAA से कोई लेना-देना नहीं है।
साभारः khabar.ndtv.com