नए कृषि कानूनों पर मोदी सरकार चौतरफा घिरती जा रही है। पंजाब के बाद हरियाणा, दिल्ली, यूपी समेत देशभर के किसान जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में तमाम विपक्षी दल भी मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।
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हालांकि इस मामले में उत्तर प्रदेश के किसानों को ज्यादा कठिनाइयां हो रही हैं क्योंकि यहां विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों के साथ पुलिस कड़ाई से पेश आ रही है। कहीं प्रदर्शनकारियों से पुलिस वसूली कर रही है तो कहीं प्रदर्शन में शामिल होने जा रहे किसानों को घर वापस लौटा दे रही है।
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पुलिस की इस सख्ती के बीच सरकारी नीतियों का विरोध करने और किसानों का समर्थन करने का समाजवादी पार्टी ने एक नया तरीका ढूंढ निकाला है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को गांव के चौपाल पर किसानों से चर्चा का निर्देश दिया है। जिसके मुताबिक, अलाव जलाकर किसानों के साथ घेरा बनाकर बैठना है और कृषि कानून पर उनसे चर्चा करनी है।
इसकी जानकारी देते हुए समाजवादी पार्टी के टि्वटर हैंडल पर लिखा जाता है-
‘समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी 25 दिसम्बर 2020 को समाजवादी किसान घेरा कार्यक्रम पूरे प्रदेश में आयोजित करेगी।’
ये ‘समाजवादी किसान घेरा कार्यक्रम’ क्या है इसके बारे में विस्तार से एक प्रेस रिलीज में बताया गया है, जिसके मुताबिक गांव की चौपाल पर किसानों के साथ घेरा बनाकर नए कृषि कानूनों और खेती बाड़ी की दशा पर चर्चा करना है।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा द्वारा किया गया ये आह्वान इसलिए मायने रखता है क्योंकि माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के किसान अगर हरियाणा और पंजाब के किसानों के तेवर में सरकार के खिलाफ उतर आए तो किसान आंदोलन बेहद ही व्यापक हो जाएगा, जिससे न सिर्फ मोदी सरकार के खिलाफ बल्कि तमाम राज्यों में शासन कर रही भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनने लगेगा।