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Adani

बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए जहां और पेड़ लगाए जाने की ज़रूरत है, वहीं उद्योगपतियों के फायदे के लिए पेड़ कटवाए जा रहे हैं। ताज़ा मामला ओड़िशा से सामने आया है। यहां अडानी समूह की एक कंपनी के कोयला प्रोजेक्ट के लिए 40 हज़ार से ज़्यादा पेड़ कटवा दिए गए।

मामला संभलपुर जिले के तालाबीरा गांव का है। बताया जा रहा है कि इन पेड़ों की कटाई पुलिस की घेराबंदी के साथ की गई। दरअसल, अडानी समूह से जुड़े नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन (NLC) कंपनी यहां कोयले की खदान बनाना चाहती है। इस खदान को बनाने के लिए ही 40 हजार से ज्यादा पेड़ कटवाए गए।

पेड़ों की कटाई पर ग्रामीण हंगामा न करने पाएं इसके लिए जंगल के चारों तरफ़ भारी पुलिस बल तैनात किया गया। हालांकि इसके बावजूद ग्रामीणों ने पेड़ों की कटाई का विरोध किया। जिसके बाद पुलिस और ग्रामीणों में हलकी झड़प भी हुई।

ग्रामीणों का कहना हैं कि वो पिछले पचास सालों से इन पेड़ो का संरक्षण कर रहे थे। उन्होंने पेड़ो की सुरक्षा के लिए गार्ड्स भी रखे थे। उन्होंने बताया कि नियमों के मुताबिक इन पेड़ो को काटने के लिए ग्रामसभा की इजाज़त आवश्यक है। लेकिन इजाज़त लिए बिना ही पेड़ों की कटाई शुरु कर दी गई।

ग्रामीणों ने बताया कि इस जंगल से करीब 30 हज़ार लोगों का घर चलता था। लेकिन अब पेड़ों के काटे जाने के बाद उनके सामने जीविका की समस्या खड़ी हो गई है।

ग़ौरतलब है कि इन पेड़ों की कटाई की इजाज़त अडानी समूह से जुड़ी कंपनी को केंद्र की मोदी सरकार ने दी है। इसी साल 28 मार्च को केंद्रीय वन मंत्रालय ने पेड़ों को काटे जाने की मंज़ूरी दी थी। जिसके बाद झारसुगुड़ा और सम्बलपुर के 1031 हेक्टेयर में फैले पेड़ो को काटने का रास्ता साफ़ हो गया। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स को मानें तो यहां अब तक सवा लाख से ज़्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं।

इससे पहले हाल ही में मुंबई की आरे कॉलोनी में पेड़ों के काटे जाने पर काफी हंगामा हुआ था। इन पेड़ों की कटाई मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र की तत्कालीन एनडीए सरकार करा रही थी। लेकिन अब महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद पेड़ों की कटाई को रोक दिया गया है।

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