एक तरफ मीडिया मोदी लहर की बात कर रही है दूसरी तरफ एक ऑडियो के मुताबिक, भाजपा नेताओं की आपसी बातचीत इस बात को उजागर कर रही है कि मोदी को सुनने के लिए लोग नहीं आना चाहते हैं। 25 नवंबर की रैली में बुलाने के लिए लोगों को दारू पैसा और साड़ी बांटकर लाना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो के मुताबिक, विदिशा से भाजपा उम्मीदवार मुकेश टंडन अपने प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह से बातचीत कर रहे हैं और इस बात की नाराजगी जता रहे हैं कि पीएम मोदी की रैली में कोई आना नहीं चाहता, उन्हें सुनना नहीं चाहता और लोगों को आने के लिए दारू पैसा और साड़ी की जुगाड़ के लिए करोड़ों खर्च करने पड़ रहे हैं।

ऑडियो में हुआ संवाद सुनें –

LINE 1: सर टंडन बोल रहा हूं विदिशा से।
LINE 2: हां टंडन क्या चल रहा है?

LINE 1: थोड़ी सी फंड की समस्या आ रही थी। पार्टी फंड से थोड़ी मदद मिल जाती तो।
LINE 2: अरे, तुमको क्या समस्या आ गई?
LINE 1: बहुत समस्या है सर, बिना पैसे के कोई काम ही नहीं करना चाह रहा।
LINE 2 : तुम तो हो सक्षम।
LINE 1 : सक्षम तो हूं सर, मैने डेढ़ करोड़ रुपए अपनी जेब से खर्च कर दिए, लेकिन सर पार्टी फंड से कुछ मिल जाता।
LINE 2: अरे तुम चुनाव लड़ रहे हो या पैसा बांट रहे हो। 22 तुम्हारे अकाउंट में आ चुके थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने दो भेजे थे और शिवराज जी ने बताया 3 दिए हैं।
LINE 1 : सर वो तो सब 25 तारीख की सभा है ना मोदीजी की, उसकी तैयारी में ही लग गए। कोई सुनने ही नहीं आना चाह रहा।
LINE 2 : वो टेंडर का मिला था तुमको उसका क्या हुआ, नगरपालिका का।
LINE 1: आखिरी रात में शराब, पैसा ये बहुत लगेगा सर। बिना उसके कैसे जीत पाएंगे।
LINE 2 : चलो करते हैं चर्चा शिवराज जी से, बताता हूं तुमको।

LINE 1 : सर, 3 करोड़ लगेंगे ही लगेंगे। दारू, पैसा, साड़ी सब करेंगे सर। सीट निकाल लेंगे। नहीं हुआ तो हार जाएंगे सर।
LINE 2: ठीक है करते हैं चर्चा, लेकिन ध्यान रखना। चुनाव लड़ रहे हो, जीत कर ही आना।

विदिशा के भाजपा प्रत्याशी की इस तरह की बातें राष्ट्रीय राजनीति के लिए इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि ये महज विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ मामला नहीं है।

अभी हाल ही में सुषमा स्वराज ने घोषित किया कि अब वह चुनाव नहीं लड़ेंगी। कहीं ऐसा तो नहीं है कि उनके क्षेत्र में भाजपा विरोधी माहौल बन गया हो जो उन्होंने पहले से भांप लिया हो!

अगर इस बात में सच्चाई है कि पीएम मोदी की रैली में कोई आना नहीं चाहता, उन्हें कोई सुनना नहीं चाहता तो फिर 2019 में बीजेपी की वापसी बेहद मुश्किल लग रही है। साथ ही मीडिया पर भी सवाल उठ रहे हैं ।

जिस मोदी लहर, जिस भाजपा लहर की बात मीडिया करती है वो कहां पर है ? जब बीजेपी के नेता आपस में ही बातचीत कर रहे हैं कि लोग उनके सबसे बड़े नेता को भी सुनना नहीं चाहते हैं तो किसी लहर का सवाल कहाँ है?

ऑडियो की प्रमाणिकता जांच का विषय है लेकिन इसमें सत्यता पाए जाने पर बीजेपी के लिए चिंता का विषय है कि वह प्रदेश में खोती हुई लोकप्रियता को कैसे बचा पाएगी।

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