एक तरफ़ बीजेपी फंड की कमी बताकर आम लोगों से चंदा इकट्ठा कर रही है तो दूसरी तरफ पार्टी के विज्ञापनों पर करोड़ों पानी की तरह बहा रही है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी टीवी पर विज्ञापन देने के मामले में नंबर वन बन गई है।

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के आंकड़ों के मुताबिक, टीवी चैनलों पर पिछले हफ्ते सबसे ज्यादा विज्ञापन भाजपा के दिखाए गए। विज्ञापन प्रसारण की टॉप-10 लिस्ट में भाजपा अकेली राजनीतिक पार्टी है। इस लिस्ट में कांग्रेस का कहीं नामोनिशान भी नहीं है।

बीजेपी टीवी चैनलों पर विज्ञापनों के मामले में साबून, तेल, तंबाकू, गुटका यहां तक कि कथित फेयरनेस क्रीम की कंपनी तक से भी आगे निकल चुकी है। प्रचार करने वाले शीर्ष 10 उत्पादों में बीजेपी का नाम टॉप पर है।

बता दें कि इन आंकड़ों को जारी करने वाली बार्क हर हफ्ते टीवी पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों और कार्यक्रमों से संबंधित आंकड़े जारी करती है।

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बार्क के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले हफ्ते सबसे ज्यादा 22099 बार बीजेपी का विज्ञापन प्रसारित किया गया, वहीं दूसरा नंबर नेटफ्लिक्स का है जिसका 12951 बार विज्ञापन दिखाया गया। यह बीजेपी के विज्ञापनों की तुलना में लगभग आधा है।

इन आंकड़ों के सामने आने के बाद बीजेपी द्वारा इकट्ठा किए जा रहे चंदे पर सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है कि बीजेपी को आख़िर जनता से कितने पैसा मिल रहे हैं जिसे वह विज्ञापनों पर पानी की तरह बहा रही है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि बीजेपी को आखिर इतनी मोटी रकम वाला चंदा कौन दे रहा है?

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी मज़ाकिया अंदाज़ में इसपर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “और मित्रों! विज्ञापन के लिए बीजेपी को ये चंदा..ये दान….. ‘दानियों’ से नहीं ‘अ-दानियों’ से मिला है… है के नहीं मित्रों”!

वहीं बीजेपी के विज्ञापनों में आई तेज़ी को 5 राज्यों में हो रहे चुनाव से भी जोड़कर देका जा रहा है। विश्लेषकों की मानें 5 राज्यों में हो रहे चुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी असर डालेंगे।

इसलिए राजनीतिक विज्ञापनों की संख्या बढ़ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार ने 4 साल में विज्ञापनों पर 4,300 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

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