लोकसभा चुनाव से ठीक पहले देशभर में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ़ लोगों की नाराज़गी देखने को मिल रही है। फिल्मकारों के बाद अब 200 से ज़्यादा लेखकों ने सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लेखकों ने लोगों से अपील की है कि वह चुनाव में नफ़रत की राजनीति के खिलाफ वोट करें।

इंडियन राइटर्स फोरम ने सोमवार को अपील जारी करते हुए कहा, “आगामी चुनाव में हमारा देश दोराहे पर खड़ा है। हमारा संविधान अपने सभी नागरिकों को खाने-पीने, प्रार्थना करने और जीने की आजादी के साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति के समान अधिकारों की गारंटी देता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा कि धर्म, जाति, लिंग या क्षेत्र के आधार पर देश के कुछ नागरिकों को मारा गया, उन पर हमला किया गया और उनके साथ भेदभाव किया गया”।

अपील में कहा गया, “नफरत की राजनीति का इस्तेमाल देश को बांटने और भय पैदा कर अधिक से अधिक लोगों को पूर्ण नागरिकों के अधिकार से वंचित करने के लिए किया गया। इन वर्षों में लेखकों, कलाकारों, फिल्म निर्माताओं, संगीतकारों और अन्य संस्कृति कर्मियों को डराया-धमकाया और सेंसर रोका गया। जो भी सत्ता पर सवाल उठाता है, उसके झूठे और हास्यास्पद आरोपों में परेशान या गिरफ्तार होने का खतरा रहता है”।

यह अपील इंडियन राइटर्स फोरम द्वारा जारी की गई है, जो 200 से अधिक लेखकों का एक संगठन है। इसमें हिन्दी के अलावा अंग्रेजी, पंजाबी, मराठी, गुजराती, बांग्ला, मलयालम, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, उर्दू, कश्मीरी और कोंकणी भाषा के लेखक शामिल हैं।

इस अपील पर गिरीश कर्नाड, अरुंधति राय, अमिताव राय, बामा, नयनतारा सहगल, टी एम कृष्णा, विवेक शानबाग, रोमिला थापर, प्रदन्या दया पवार, शशि देशपांडे, दामोदर मौजो, विवान सुंदरम, अनवर अली, असद जैदी, रहमान अब्बास और शरणकुमार लिम्बाले सहित कई लेखकों के दस्तख़त हैं।

इंडियन राइटर्स फोरम ने अपील में आगे कहा, “हम सभी देश के हालात में बदलाव चाहते हैं। हम नहीं चाहते हैं कि तर्कवादियों, लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को डराया जाए या उनकी हत्या हो। हम महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहते हैं। हम रोजगार, शिक्षा, अनुसंधान, स्वास्थ्य सेवा के लिए संसाधन और उपाय और सभी के लिए समान अवसर चाहते हैं। सबसे बढ़कर, हम अपनी विविधता को बचाना चाहते हैं और लोकतंत्र को फलने-फूलने देना चाहते हैं।”

लेखकों ने कहा कि यह तभी मुमकिन है जब हम  नफ़रत की राजनीति के खिलाफ मतदान करें। लोगों के बीच विभाजन के खिलाफ वोट दें, असमानता के खिलाफ वोट करें, हिंसा, धमकी और सेंसरशिप के खिलाफ वोट करें। यही एकमात्र तरीका है जिससे हम उस भारत के लिए मतदान कर सकते हैं जो हमारे संविधान द्वारा किए गए वादों की पूनर्बहाली करता है। यही कारण है कि हम सभी नागरिकों से एक विविध और समान भारत के लिए मतदान करने की अपील करते हैं।

बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को देशभर के तकरीबन 100 फिल्म मेकर्स ने संयुक्त रूप से आगामी लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी को वोट न करने की अपील की थी। इन फिल्मकारों ने बीजेपी को धुव्रीकरण और नफरत की राजनीति करने वाली पार्टी बताया था।

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