
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना-भाजपा का 30 साल पुराना गठबंधन टूट गया है। अब दूसरे सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते शिवसेना सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राकांपा के साथ हाई लेवल बैठकें कर रही है। इस बीच शिवसेना के मोदी सरकार में एकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कोर कमेटी की बैठक के बाद कहा कि, हमारे विधायक सरकार बनाने के पक्ष में हैं। लेकिन कांग्रेस के बगैर कोई फैसला नहीं लेंगे। राज्य कांग्रेस ने भी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने की बात कही है। इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कार्यसमिति की सरकार बनाने को लेकर बैठक हो रही है।
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यह दूसरी बार है जब भाजपा और शिवसेना अलग हुए हैं। दोनों पार्टियों के बीच में 1989 में गठबंधन हुआ था। 1990 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ में लड़ा था।
इस दौरान कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों ने जो एकजुटता दिखाई है वो हाल के वर्षों में गायब हो गई थी। क्योंकि गोवा, कर्नाटक और मणिपुर में अन्य दलों के विधायक भाजपा के साथ चले गए थे और फिर बाद में भाजपा ने इन विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई।
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कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों की एकता को लेकर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट करके इन विधायकों का सम्मान करने के लिए कहा है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि, “एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों का सम्मान करना चाहिए, जो गोवा के विधायकों की तरह थोक में नहीं बिके।”
NCP शिवसेना और “कांग्रेस” के विधायकों का “सम्मान” करना चाहिये, जो GOA के विधायकों की तरह “थोक” में नहीं बिके.
— Acharya Pramod (@AcharyaPramodk) November 11, 2019
बता दें कि गोवा में कांग्रेस के 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे और इसके साथ ही 40 सदस्यीय सदन में भाजपा विधायकों की संख्या बढ़कर 27 हो गई थी।