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मशहूर लेखिका और अभिनेत्री नंदिता दास ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए विवादित नागरिकता कानून को लेकर अपनी राय रखी है। उन्होंने कानून का विरोध करते हुए इसे समाज को बांटने वाला बताया है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पत्रकारों से बात करते हुए कहा संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) का रिश्ता बेहद ख़तरनाक है। उन्होंने साफ़ शब्दों में कानून की आलोचना करते हुए कहा इसके जरिए आपसे भारतीय होने का सूबत मांगा जा रहा है। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब धर्म के नाम पर लोगों को विभाजित किया जा रहा है।
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इसके साथ ही अभिनेत्री ने नागरिकता कानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के शाहीनबाग़ में जारी महिलाओं के प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली की तरह शाहीन बाग देश में हर जगह बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों ने इसके विरोध में आवाज उठाई है। एक विभाजनकारी कानून के ख़िलाफ़ ये प्रदर्शन बहुत ही स्वभाविक है।
नंदिता दास ने इस दौरान देश की आर्थिक स्थिति को लेकर भी सवाल उठाया और कहा कि आर्थिक हालात बदतर होते जा रहे हैं। देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। देश की स्वास्थ्य सेवा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल खराब हैं, बच्चे मर रहे हैं और हम सब अपनी पहचान साबित करने में लगे हैं।
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उन्होंने कहा कि यह संदेश देने का वक़्त नहीं बल्कि सोचने का वक़्त है कि हम किस तरह का समाज चाहते हैं। मैं 9 साल के बच्चे की मां हूं। मैं उसके लिए किस तरह का समाज छोड़कर जाना चाहती हूं। ये उसका सवाल है। ये आप दूसरों पर नहीं बल्कि अपने पर पहले देखें कि हम क्या कर रहे हैं।
दास ने कहा कि अगर हम एक संवेदनशील समाज चाहते हैं तो हमें इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि आज मंटो होते तो शायद वे भी दुखी होते। 70 साल बाद भी हमें वैसे ही बांटने की कोशिश हो रही है।