भारत के राजनैतिक और चुनावी हलचलों पर नज़र रखने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की नई रिपोर्ट आ चुकी है. इसमें राष्ट्रीय स्तर की राजनैतिक पार्टियों को वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में मिलने वाले कॉर्पोरेट और बिज़नेस डोनेशंस (चंदा) का आंकड़ा है.

रिपोर्ट के मुताबिक 20 हज़ार से ऊपर दिए जाने वाले डोनेशन को ही गिना गया है.

भाजपा को इन वित्तीय वर्षों में जितने रूपए दान दिए गए, उसमें 915.596 करोड़ रूपए कॉर्पोरेट या व्यावसायिक घरानों ने दान दिए हैं.

दरअसल भाजपा को इन वित्तीय वर्षों में जो भी दान मिला है, उस सबका ये राशि अकेले ही 94% है. भाजपा को ये राशि ‘वॉलंटरी डोनेशन’ के रूप में मिली है. अब ये सोचने वाली बात ज़रूर है कि किसने भाजपा को इतनी बड़ी राशि दान दी है?

वहीँ दूसरी तरफ़ कांग्रेस को दान की गयी राशि का 81% और सीपीआई को दान की गयी राशि का 2% कॉर्पोरेट या व्यावसायिक घरानों से मिला है.

हालांकि CPM को मिले चंदे का 55% कॉर्पोरेट चंदा है.

दरअसल इस रिपोर्ट में इन राष्ट्रीय पार्टियों को मिले दान का विश्लेषण किया गया है- BJP, INC, NCP, CPI, CPM और AITC. बसपा को इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है. ऐसा इसलिए उसे वर्ष 2004 से ही 20 हज़ार के ऊपर का वॉलंटरी डोनेशन नहीं मिला है.

आपको बता दें कि वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में 6 राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों को 1059.25 करोड़ रूपए  दान में दिए गए हैं. इस पूरी राशि का 93% का सोर्स अकेले ही कॉर्पोरेट या व्यावसायिक घराने का है.

इस रिपोर्ट से ये समझा जा सकता है कि इतनी बड़ी-बड़ी राशि का दान करने के बाद इन पार्टियों पर कॉर्पोरेट का असर तो पड़ता ही होगा. इसलिए देश की राजनीति उसको फंड करने वाले बिज़नेस और कॉर्पोरेट दुनिया पर निर्भर करती है.

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