ये गजब इश्क है... सवाल मोदी सरकार से पूछा जाता है और जवाब गोदी मीडिया देने लगती है। मतलब चोट इधर लगती है और दर्द उधर होता है। जबकि विपक्ष का काम होता सरकार के कामकाज पर सवाल उठाना। और पत्रकार का काम होता सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करना, समीक्षा करना, सवाल करना।

लेकिन सत्ताधीशों और कॉर्पोरेट की गुलाम गोदी मीडिया विपक्ष से ही सारे सवाल कर रही है। विपक्ष जब राफेल सौदे को लेकर पीएम मोदी पर सवाल उठाता है, तो जवाब देने गोदी मीडिया के पत्रकार अवतरित हो जाते हैं। विपक्ष नोटबंदी/जीएसटी की असफलता गिनवाता है, तो गोदी मीडिया सरकार की सफलता गिनवाने लगता है।

फिलहाल विपक्ष पुलवामा हमले को लेकर सरकार से सवाल कर रहा है, तो गोदी मीडिया सवाल को पाकिस्तान और मौलाना मसूद अजहर की तरफ घुमा दे रहा है। चमपंथियों या उनको पालने वालों से सवाल पूछकर क्या मिलेगा? उनका काम हमला करना है, उनसे सवाल पूछना पत्थर पर अपना सिर मारना है।

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सवाल सरकार से पूछा जाना चाहिए कि वो जवानों की जान क्यों नहीं बचा पाए? बचाने की जिम्मेदारी सरकार की थी, गृह मंत्रालय की थी। लेकिन गोदी मीडिया में इतना साहस नहीं है कि वो प्रधानमंत्री या गृहमंत्री से सवाल पूछ पाए, ये पत्रकार अपने टीवी स्टूडियो से ही पाकिस्तान पर पहला कर खुश हैं।

वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने मीडिया के इस रवैये को अपने दो ट्वीट्स के माध्यम से उठाया है। उन्होंने अपनी पहली ट्वीट में लिखा है ‘कांग्रेस या विपक्ष जैसे ही मोदी या उनकी सरकार पर कोई आरोप लगाता है एक दो चैनल के एंकर ,रिपोर्टर, संपादक गुस्से से आग बबूला हो जाते हैं। महाप्रवक्ता बनकर तुरंत सरकार की तरफ से गोले दागने मैदान में उतर जाते हैं। अद्भुत दौर है पत्रकारिता का, जब प्रवक्ता का काम पत्रकार कर रहे हैं।’

अजीत अंजुम अपनी दूसरी ट्वीट में लिखते हैं ‘कई बार इतने गुस्से में दिखते हैं कि लगता है अभी स्क्रीन से निकलकर रणदीप सुरजेवाला और राहुल गांधी को पटककर मारने लगेंगे… सारा गुस्सा विपक्ष के लिए ? इतनी ताकत अपने भीतर कहाँ से लाते हो ? घर जाकर आईना तो देखते होंगे कि दिनभर कैसी पत्रकारिता करके आये हो ?’

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