वाराणसी लोकसभा (Varanasi Lok Sabha) सीट से भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के सामने लड़ रहे समाजवादी पार्टी (गठबंधन) के प्रत्याशी बीएसएफ के पूर्व जवान तेजबहादुर यादव (Tej Bahadur Yadav) की उम्मीदवारी को चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया है। सपा का आरोप है कि चुनाव आयोग ने तेज बहादुर के खिलाफ ये कार्रवाई बीजेपी के इशारे पर की है।

तेजबहादुर यादव की उम्मीदवारी को रद्द किए जाने पर आम से लेकर खास लोग सवाल उठा रहे हैं. इस बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा है कि, “जब बीजेपी वाले राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांग रहे थे, उन्हें एक सेना के जवान का सामना करना चाहिए था. तेजबहादुर को उसकी नौकरी से निकाल दिया गया क्योंकि उसने सेना में ख़राब खाने का मुद्दा उठाया. ऐसे लोग कैसे सच्चे राष्टवादी कहे जा सकते हैं?”

वहीं, लोगों का आरोप है कि चुनाव आयोग पीएम मोदी को बचाने की कोशिश कर रहा है। राजनीतिक हलकों में ये चर्चा जोरों पर है कि, तेजबहादुर यादव पीएम मोदी को वाराणसी लोकसभा सीट से कड़ी चुनौती दे रहे थे, इसलिए चुनाव आयोग ने उनकी उम्मीदवारी को ही तकनीकि दांवपेंच करके रद्द कर दिया।

बता दें कि पीएम मोदी ने इसी लोकसभा चुनाव में कई बार आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया लेकिन चुनाव आयोग ने हमेशा मोदी को बचा लिया! ऐसा क्यों ? देश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी कि चुनाव आयोग आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में पीएम मोदी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। कांग्रेस ने कोर्ट में कहा था कि चुनाव आयोग पीएम मोदी के खिलाफ की गई शिकायतों को नहीं सुनता।

ग़ौरतलब है कि 2 दिन पहले पश्चिम बंगाल में एक चुनावी प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा था, ‘23 मई को जब नतीजे आएंगे तो तुम्हारे विधायक तुम्हें छोड़कर भाग जाएंगे, आज भी तुम्हारे 40 विधायक मेरे संपर्क में है दीदी’।

इससे पहले पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के लातूर में एक सभा में बालाकोट में सेना की कार्रवाई और पुलवामा शहीदों के नाम पर वोट मांगा था।

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