
इन दिनों देश में महापुरुषों की मूर्तियां और शहरों के बदलते नाम चर्चा का विषय बने हुए हैं। यह चर्चा इसलिए तेज़ है क्योंकि सत्तारूढ़ बीजेपी एक के बाद मूर्तियों का निर्माण कर रही है और सिलसिलेवार तरीके से शहरों के नाम बदलती नज़र आ रही है।
विपक्षियों का आरोप है कि बीजेपी यह सब आगामी चुनावों में हिंदुओं के वोट साधने के लिए कर रही है। विपक्षियों का कहना है कि बीजेपी अपने विकास के दावों पर पूरी तरह नाकाम रही है, इसलिए वह हिंदू वोटरों को मूर्तियों और शहरों के पुनःनामकरण के ज़रिए भ्रमित करना चाहती है।
वहीं, बीजेपी इन आरोपों को ग़लत बताती है। पार्टी का कहना है कि वह उन महापुरुषों की मूर्तियां बनवा रही है, जिसे पिछली सरकार यानी कांग्रेस ने नज़रअंदाज़ किया है।
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बीजेपी का कहना है कि वह महापुरुषों को सम्मान देने के लिए उनकी मूर्तियां बनवा रही है। इसके साथ ही शहरों के नाम बदले जाने पर बीजेपी की दलील है कि वो भारत में सिर्फ भारतीय मूल के नाम ही रखना चाहती है न कि विदेशी मूल के।
बीजेपी भले ही यह कह रही हो कि महापुरुषों के सम्मान में मूर्तियां बनवाई जा रही हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या महापुरुषों का सम्मान सिर्फ़ मूर्तियां ही बनवाकर किया जा सकता है? क्या कांग्रेस की तरह महापुरुषों का सम्मान कॉलेज-अस्पताल बनवाकर नहीं किया जा सकता?
आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा ने महापुरुषों के नाम पर कांग्रेस के कामों का ज़िक्र करते हुए बीजेपी पर हमला बोला है।
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उन्होंने जंगे-आज़ादी के हीरो मौलाना अबुल क़लाम आज़ाद के नाम पर बनवाए गए कॉलेज-अस्पतालों के लिए कांग्रेस की तारीफ करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस की जगह बीजेपी होती तो मौलाना आज़ाद के नाम पर करोड़ों खर्च कर कॉलेज-अस्पताल नहीं बल्कि मूर्ति बनवाती।
आप नेता ने ट्वीट कर लिखा, “1958 में काँग्रेस नही बल्कि BJP सत्ता में होती तो भारत रत्न मौलाना अबुल क़लाम आज़ाद जी के नाम से मौलाना आज़ाद डैंटल कॉलेज, मौलाना आज़ाद पब्लिक लाइब्रेरी, मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय बनाने की जगह करोड़ों₹ खर्च कर उनकी एक मूर्ति खड़ा कर देती, और आज उस मूर्ति का नाम बदलकर सावरकर रख देती?
1958में काँग्रेस नही बल्कि BJPसत्ता में होती तो भारत रत्न मौलाना अबुल क़लाम आज़ाद जी के नाम से मौलाना आज़ाद डैंटल कॉलेज,मौलाना आज़ाद पब्लिक लाइब्रेरी,मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय बनाने की जगह करोड़ों₹ खर्च कर उनकी एक मूर्ति खड़ा कर देती,और आज उस मूर्ति का नाम बदलकर सावरकर रख देती?
— Alka Lamba (@LambaAlka) November 11, 2018
बता दें कि है आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले मौलाना आज़ाद देश के पहले शिक्षा मंत्री थे, उन्होंने देश को आईआईटी, आईआईएम और यूजीसी जैसे बड़े संस्थान दिए।