अंकित राज

पांच राज्यों में चुनावों के ऐलान के साथ ही झूठतंत्र के महापर्व की शुरूआत हो चुकी है। आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में झूठतंत्र का ये उत्सव सबसे धूमधाम से मनाया जा रहा है। यहां आकर झूठतंत्र का चरम व्यक्ति से लेकर चमन व्यक्ति तक झूठ बोल रहा है।

चरम और चमन मिलकर किसको भरम में डाल रहे हैं? लगता है ये बताने की जरूरत नहीं है। इसके साक्ष्य तो प्रयागराज के लॉज से लेकर सीएम ऑफिस के बाहर तक बिखरे हुए हैं। उत्तर प्रदेश के लगभग सभी प्रमुख शहरों में बिना 80 – 20 का फर्क किए ‘बेरोजगारी जिहाद’ कर रहे युवाओं को रौंदा जा चुका है।

ख़ैर, हम लौट आते हैं झूठतंत्र के उत्सव में अपने बयान से नया अंधेरा पैदा करने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ताजा कार्यक्रम में। गणतंत्र दिवस के एक रोज बाद हुए अपने कार्यक्रम ‘प्रभावी मतदाता संवाद’ में अमित शाह ने अपराध से जुड़े कुछ आंकड़े उछाले हैं।

इन आंकड़ों के जरिए उत्तर प्रदेश की पिछली सरकार यानी सपा सरकार को अधिक दागदार बताया गया है। यहां ये स्पष्ट कर देना उचित होगा कि हमें किसी राजनीतिक दल के दाग को साफ करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। एक मीडिया संस्थान के तौर पर ये हमारा काम भी नहीं है। यहां हम सत्ता के झूठ से जनता को आगाह करने लिए अमित द्वारा उछाले आंकड़ों की समीक्षा कर रहे हैं।

अमित शाह ने कहा, अखिलेश बाबू के शासन से भाजपा के शासन में, डकैती में 70% की कमी हुई है। लूट में 72% की कमी हुई है। हत्या में 29% की कमी हुई है। अपहरण में 35% की कमी हुई है।

पहले तो ध्यान देने योग्य बात ये कि अब ‘बाबू’ शब्द सामंती जातियों के अलावा कृषक समुदाय से आने वाले अखिलेश यादव के नाम के साथ भी लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसे गणतंत्र दिवस का हैंगओवर नहीं समझना चाहिए। ये प्रतिनिधित्व की राजनीतिक से परेशान भाजपा का तंज भी हो सकता है।

ख़ैर, अमित शाह ने जो आंकड़े पेश किए हैं वो भ्रामक नहीं है, बल्कि विशुद्ध झूठ है। अमित शाह जिस गृह मंत्रालय के मुखिया हैं, उसी मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि योगी सरकार पिछली दोनों सरकारों से तमाम तरह के अपराध के मामलों में कहीं आगे है।

एनसीआरबी की तरफ से आखिरी बार 2020 में आंकड़ा जारी किया गया था। तब योगी सरकार को चार साल हुए थे। साल 2020 में आई NCRB की रिपोर्ट के हिसाब से तीनों सरकारों के साल-दर-साल औसतन दर्ज मामलों में भाजपा आगे है।

अमित शाह ने कहा भाजपा शासन में अपहरण के मामलों में 35% की कमी आयी है। अमित शाह के मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी के मुताबिक, सपा सरकार की तुलना में अपहरण के मामलों में 45% की वृद्धि हुई है। सपा शासन (2012 से 17) के बीच उत्तर प्रदेश में अपहरण के कुल 12 हजार मामले सामने आए थे। वहीं योगी सरकार के चार साल के ही कार्यकाल में 17.5 हजार अपहरण के मामले दर्ज हो चुके थे।

अब अगर भाजपा और सपा दोनों के कार्यकाल की तुलना मयावती के बसपा सरकार से कर दी जाए तो एक अलग तस्वीर नज़र आएगी। जहां सपा की तुलना में भाजपा शासन में 45% अधिक अपहरण की वारदात हुई थी। वहीं बसपा सरकार से तुलना करें तो भाजपा शासन में 192% अधिक अपहरण की घटनाएं हुई हैं। यानी इस मामले में बसपा के सामने सपा और भाजपा दोनों का कार्यकाल बेहद खतरनाक रहा है।

यही हाल चोरी, महिला अपराध और दंगे के मामले में भी है। अखिलेश यादव के कार्यकाल में चोरी के 42 हजार मामले दर्ज हुए थे। वहीं भाजपा सरकार में आंकड़ा 50 हजार हो गया। यानी 19% की वृद्धि। वहीं मायावती की बसपा सरकार से तुलना करें तो वृद्धि 212% हो जाएगी। क्योकिं बसपा सरकार में चोरी के सिर्फ 16 हजार मामले दर्ज हुए थे।

महिला अपराध की बात करें तो अखिलेश यादव के कार्यकाल में 36 हजार मामले दर्ज हुए थे। भाजपा सरकार में ये आंकड़ा 56 हजार हो गया। यानी 55.5% की वृद्धि। वहीं बसपा सरकार से तुलना करें तो ये वृद्धि 155% की हो जाएगी। क्योंकि बसपा सरकार में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध के कुल 22 हजार मामले दर्ज हुए थे।

अब तुलना को किनारे रखते हैं, और अमित शाह के दावों सिर्फ उत्तर प्रदेश के अपराध के आंकड़ों पर कसते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो-2020 के आंकड़े बताते है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी नंबर-वन है। देशभर में सबसे ज्यादा यूपी की महिलाओं ने ही शोषण की शिकायतें दर्ज करायी हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के मुताबिक, देशभर से लगभग 31 हजार शिकायतें मिलीं। इसमें 15 हजार से ज्यादा सिर्फ यूपी की हैं।

इतना ही नहीं महिलाओं की हत्या के मामल में भी उत्तर प्रदेश नंबर-वन है। महिलाओं पर होने वाले एसिड अटैक के मामल में भी उत्तर प्रदेश नंबर-वन है। दहेज हत्या के मामल में भी उत्तर प्रदेश नंबर-वन है। महिलाओं को हत्या के लिए उकसाने के मामले में भी उत्तर प्रदेश नंबर-वन है। पति या रिश्तेदारों द्वारा महिलाओं के खिलाफ होने वाली क्रूरता के मामले में भी उत्तर प्रदेश नंबर-वन है।

हाँ, महिलाओं के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामले में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है। इस मामले में भी बस कुछ ही अंकों से ही योगी शासित ये राज्य शीर्ष स्थान ना पाकर, दूसरे स्थान पर रह गया है।

अब आते हैं हत्या के आंकड़ों पर NCRB-2020 के आंकड़ों के ही मुताबिक उत्तर प्रदेश हत्या के मामले में भी नंबर-1 पर है। रिपोर्ट की माने तो साल 2020 में देश में कुल 29,193 मर्डर हुए, जिसमें से अकेले सिर्फ उत्तर प्रदेश में 3,779 हत्याएं हुईं।

दलितों के खिलाफ होने वाले अपराध में भी उत्तर प्रदेश नंबर-1 है। साल 2020 में देश में दलितों के खिलाफ अपराध के कुल 50,291 मामले दर्ज हुए, जिसमें से अकेले सिर्फ उत्तर प्रदेश में 12,714 मामले दर्ज हुए।

हिरासत में मौत के मामलों में भी उत्‍तर प्रदेश पहले नंबर पर है। यूपी में पिछले तीन साल में 1,318 लोगों की पुलिस और न्‍यायिक हिरासत में मौत हुई है। एनएचआरसी के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हुई हिरासत में मौत के मामलों का करीब 23% उत्तर प्रदेश के हिस्से जाता है।

मानवाधिकार हनन में भी UP अव्वल है। पिछले तीन वित्त वर्षों से 31 अक्टूबर 2021 तक आए मानवाधिकार उल्लंघन के कुल मामलों के तक़रीबन 40 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। यानी पूरे देश में सबसे ज्यादा मानवाधिकार का उल्लंघन योगी शासित उत्तर प्रदेश में हो रहा है।

ये पहला वर्ष नहीं है जब यूपी मानवाधिकार उल्लंघन के लिए कुख्यात हुआ हो। योगी सरकार ने इस मामले में कृतिमान स्थापित कर दिया है, उत्तर प्रदेश लगातार तीन वर्षों से मानवाधिकार उल्लंघन सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहा है।

मुझे लगता है इन आंकड़ों से अमित शाह के दावे की सच्चाई सामने आ गयी होगी। हालांकि सच्चाई और चुनावी प्रचार का आपस में कोई संबंध नहीं होता, फिर भी हमने अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए गृह मंत्री के झूठ को आपके सामने उजागर कर दिया है।

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