लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चूका है। राजनीति के सबसे बड़े महारथी ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। तथाकथित चौकीदार नरेन्द्र मोदी ‘विकास’ की बात करते हुए भी उनके चुनाव प्रचार से ‘विकास’ गायब है। नरेंद्र मोदी जो पिछले लोकसभा चुनाव में जिस विकास की बात कहते थकते नहीं थे और अच्छे दिन लाने की बात किया करते थे।

उन्हीं प्रधानमंत्री मोदी के 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार में उनके वादों की तरह ‘अच्छे दिन’ भी गायब हो गए। लेकिन हाँ, अब पांच साल तक सरकार चलाने के बाद मोदी अपने आपको ‘चौकीदार’ जरुर कहने लगे हैं।

वो भूल गए हैं कि उन्होंने पिछले चुनाव में नौजवानों को सालाना 2 करोड़ रोजगार, किसानों की फसल का दोगुना दाम, महंगाई पर रोक, आतंकवादी हमलों पर रोक करने का वादा देश की 130 करोड़ जनता से किया था! लेकिन, पीएम मोदी इस चुअनव में अपने इन वादों पर बात नहीं कर रहे हैं। सपूत-कपूत और शराब-सराब की बात कर रहे हैं। मानों वो शराब के नशे में जनता को झोंक देने चाहते हैं।

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बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के राज्य सभा सांसद अशोक सिद्धार्थ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके वादों घेरते हुए कहा है कि, “देश का कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि प्रधानमंत्री जनता की मूलभूत समस्यायों गरीबों, किसानों, दलितों, आदिवासियों, शिक्षा और स्वास्थ्य के बारे में बात न करते हुए जुमलेबाजी कर रहे हैं। वो अपने सरकार की कामों को नहीं बता रहे। जुमलों से जनता को सतर्क रहने की जरुरत है।”

बता दें कि पिछले पांच सालों में पीएम मोदी ने खुद को चायवाला, चौकीदार और फकीर होने का की बात को सोशल मीडिया और अपनी रैलियों के जरिए जनता में फैलाते रहे हैं।

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मगर उन्होंने इन पांच सालों में कभी अपनी सरकार के रोजगार देने, किसान आय दोगुनी सम्बन्धी बात नहीं की है! इसीलिए पीएम चुनाव दर चुनाव वो खुद चाय वाला फकीर और चौकीदार जैसे शब्दों पर ज्यादा जोर देते हुए नज़र आ रहें है।

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