औद्योगिक नगर कानपुर से सटी हुई है उन्नाव लोकसभा की सीट. सियासी तौर पर ये इलाका कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. लेकिन वक्त के साथ बीजेपी अपनी जगह बनाती चली गई.

2014 की मोदी लहर में साक्षी महाराज उन्नाव में बीजेपी का पताका लहराने में कामयाब हुए थे. पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें 5,18,834 वोट मिले थे. लेकिन इस बार उन्नाव में एक बार फिर कमल खिलाना इतना आसान नहीं होगा.

इस बार मुकाबले में बाबा के सामने दो महिला उम्मीदवार खड़ी हैं. समाजवादी पार्टी ने पूजा पाल और कांग्रेस ने अनु टंडन को उन्नाव सीट से 2019 चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित किया है.

सांसद साक्षी महाराज के बयानों से पता चलता है कि वो महिलाओं को बच्चे पैदा करने की मशीन मात्र समझते हैं लेकिन अब इन दिनों एहसास हो रहा होगा कि महिलाऐं क्या क्या कर सकती हैं और कितनी बड़ी चुनौती दे सकती हैं.

कांग्रेस की अनु टंडन 2014 में साक्षी महाराज के खलाफ चुनाव लड़ चुकी है. वहीं पूजा पाल इलाहाबाद छोड़कर उन्नाव से चुनाव लड़ने जा रही है. उन्नाव सीट पर 9 बार कांग्रेस जीत दर्ज करने में सफल रही जबकि 4 बार बीजेपी जीती है. वहीं एक-एक बार इस सीट से बीएसपी और समाजवादी पार्टी चुनाव जीत चुकी है.

इलाहाबाद से बीएसपी की पूर्व विधायक पूजा पाल को समाजवादी पार्टी ने इस बार उन्नाव से टिकट दिया है. समाजवादी उम्मीदवार पूजा पाल इलाहबाद से विधायक रहे राजू पाल की पत्नी हैं. राजू पाल की साल 2004 में हत्या हो गई थी. उनके पति की हत्या का आरोप बाहुबली अतीक अहमद के भाई पर है. पति की हत्या के बाद पूजा को बीएसपी ने टिकट दिया और वे जीतीं भी.

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पूजा पाल 2007 और 2012 में बीएसपी के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंची थीं. एक साल पहले उन्हें बीएसपी से निष्कासित कर दिया गया था. इस बार 2019 लोकसभा चुनाव में वो समाजवादी पार्टी की ओर से चुनाव में खड़ी हैं. माना जा रहा है पूजा पाल को उन्नाव से टिकट के पीछे पाल बिरादरी की पार्टी के प्रति नाराज़गी को दूर किया जा रहा है. पूजा पाल पिछड़े वर्ग की महिला नेता के रूप मेें जानी जाती हैं. उनके आने से पार्टी के कार्यकर्ता बेहद उत्साहित हैं. क्योंकि पूजा पाल सपा-बसपा गठबंधन की उम्मीदवार हैं और पिछड़े समाज से आती हैं, इसलिए पिछड़ा वर्ग मतदाताओं की बहुलता वाली इस सीट पर वो बढ़त बना सकती हैं. इसके साथ ही दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में लोकप्रियता है   इसलिए भी उनकी दावेदारी सबसे मजबूत है.

दूसरी तरफ कांग्रेस फिर से अपना दांव अनु टंडन पर लगा रही है. कांग्रेस कुल 9 बार उन्नाव की सीट अपने खाते में लिखवा चुकी है. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में अनु टंडन ने यहां पर जीत दर्ज की थी. लेकिन मोदी लहर में साक्षी महाराज सांसद की कुर्सी जीत गए. बता दें कि 2014 चुनाव में अनु टंडन को 1,97,098 वोट मिले थे. अनु टंडन को एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में देखा जाता है.

इस बार उन्नाव में चुनाव की हवा का रुख किस तरफ मुड़ता है देखने लायक होगा. एक तरफ साक्षी महाराज हैं जिन्हे 2014 मे उन्नाव के लोगों ने भारी बहुमत से चुना था. वहीं उनके खिलाफ दो दमदार उम्मीदवार लड़ने जा रही हैं.

अनु टंडन पहले भी उन्नाव से सांसद की कुर्सी का सफर तय कर चुकी हैं. लेकिन इस बार यूपी मे बीएसपी और एसपी का हाथ मिलाना बाकी पार्टियों के लिए मुश्किल बन चुका है. ऐसे मे राजनीती मे अनुभवी पूजा पाल भी मज़बूत टक्कर देती दिखेंगी.

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