कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें पत्रकारों से बात करने जा रहे राहुल को ज्योतिराधित्य सिंधिया कुछ नसीहत देते नज़र आ रहे हैं।

वीडियो सामने आते ही लोगों ने राहुल गाँधी की खिंचाई करनी शुरु कर दी है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय तक ने मामले में कांग्रेस अध्यक्ष को लपेटे में लेने की कोशिश की है।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीटर पर लिखा-

आजकल सपना दिखाने के लिए भी ट्यूशन लेनी पड़ती है?

BJP IT सेल के हेड अमित मालवीय ने लिखा-

एक आदमी जो बग़ैर ट्यूशन लिए 2 मिनट भी नहीं बोल सकता, वो देश का प्रधानमंत्री बनना चाहता है।

हालांकि मालवीय के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने लिखा है कि-

और एक आदमी जो प्रेस कॉन्फ़्रेंस में रिपोटर्स का सामना नहीं करता वो देश का पीएम है। क्या लोकतंत्र है!

अब बात राहुल गांधी की वायरल वीडियो की-

वीडियो में कांग्रस अध्यक्ष राहुल गाँधी मीडिया से बात करने से पहले सलाह-मशविरा करते नजर आ रहे हैं। अब सवाल उठता है कि अगर अपने साथियों से सलाह-मशविरा करके, कोई बात देश के सामने रख रहे हैं तो इसमें ग़लत क्या है?

ये तो अच्छी बात है। क्योंकि पार्टी, देश, संगठन किसी एक व्यक्ति से नहीं चलता है। ये चलता है सबके साथ से। सबके साथ से यहाँ बीजेपी का ‘सबका साथ’ वाला नारा याद आता है। बेहतर होता कि पीएम मोदी भी सबके मशविरे से अपनी बात देश के सामने रखतें।

बेहतर होता कि नोटबंदी करने से पहले उन्होंने देश के उन तमाम अर्थशास्त्रियों से सलाह ली होती। जिन्होंने बाद में इसकी तीख़ी आलोचना की। बेहतर होता कि वो GST लगाने से पहले विशेषज्ञों की राय ले लेते।

इन दोनों वजहों से छोटे और मझोले कारोबारी लगभग बर्बाद हो गएं, नोटबंदी की लाइन में कइयों की जानें गईं… कइयों के रिश्ते टूटें। अगर पीएम ने सबकी सलाह से ये काम किए होतें तो, ये सब तबाह होने से बच जातें।

इसलिए राहुल गाँधी अगर सहयोगियों की सलाह से अपनी बात कह रहे हैं तो ये अच्छी बात है।

अपने ट्वीट्स को लेकर विवादों में रहे हैं अमित मालवीय-

बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय अक्सर अपने ट्वीट्स को लेकर विवादों में रहते हैं। चुनाव आयोग ने जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख़ का ऐलान नहीं किया था उससे पहले ही अमित ने चुनाव की तारीख़ की घोषणा कर सबको चौंका दिया था। जिसके बाद बीजेपी की बहुत फ़ज़ीहत हुई थी, और मालवीय को ट्वीट डिलीट करना पड़ा था।

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