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गुजरात के चर्चित कथित फर्जी सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर के मामलें में एक नया मोड़ आ गया। इस मामले की जांच कर रहें आईपीएस रजनीश राय ने नोट लिखकर नौकरी छोड़ने दी है उन्होंने नोट में लिखा है कि उन्हें अब रिटायर्ड समझा जाए।
मगर उनकी इस मांग को गृह मंत्रालय ने ठुकरा दिया है जिसपर राय अहमदाबाद के CAT में अपील की है।अब केंद्र और गुजरात सरकार को 10 दिसंबर को नोटिस जारी करते हुए 1 जनवरी 2019 तक जवाब माँगा है.
राय फिलहाल अधिकारिक रूप से आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के एटीएस स्कूल में आईजी के पद पर हैं। उन्होंने CAT में जाने का फैसला तब लिया जब गृह मंत्रालय ने उनके आवेदन पर ठुकराते हुए उन्हें फ़ौरन ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश दिया था। राय ने 23 अगस्त को 50 साल की उम्र पूरी करने के बाद सरकार की नीति स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) के तहत रिटायरमेंट की अप्लाई किया था।
राय ने 15 अक्टूबर को मोदी सरकार को याद दिलाया जिसपर सरकार का कहना था कि उन्हें दृष्टिकोण से उन्हें मुक्त नहीं किया गया। इसके बाद राय ने 30 नवंबर को गृह मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर साफ़ कर दिया था कि चित्तूर के आईजी का पद 30 नवंबर को ख़त्म होने के बाद उनका रिटायरमेंट मान लिया जाए।
बता दें कि सोहराबुद्दीन शेख की 26 नवंबर, 2005 को फेक एनकाउंटर में हत्या की गई थी। वहीं, 28 दिसंबर, 2006 को उनके साथी तुलसीराम प्रजापति की गुजरात में एक फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी गई थी। नगालैंड कैडर के पुलिस अधिकारी संदीप तमगड़े ने अप्रैल 2012 से मुख्य जांच अधिकारी के रूप में इस मामले की जांच की थी।
तमगड़े ने कोर्ट को बताया कि नेताओं-अपराधियों का एक नेक्सस बना हुआ था। अमित शाह और राजस्थान के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति और आजम खान जैसे लोगों का इस्तेमाल कर साल 2004 में नामी बिल्डरों के यहां हमला कराया था।