2014 से पहले ‘कालाधन’ के लिए आंदोलन करने वाले बाबा रामदेव का एजेंडा अब सिफ्ट चुका है। एक वक्त था जब बाबा रामदेव ने कालधन वापस लाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी। बाबा को सलवार समीज पहनकर भागना पड़ा था।

लेकिन अब बाबा रामदेव ‘काले धन की बात’ नहीं करते, सिर्फ मोदी के ‘मन की बात’ सुनते हैं। इसमे किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि बाबा रामदेव बीजेपी के आदमी हैं।

बाबा उतना ही करते हैं जितना बीजेपी चाहती है। 2014 से पहले बीजेपी कालेधन की बात करती थी, तो बाबा भी कालेधन की बात करते थे। अब बीजेपी राम मंदिर की बात कर रही है तो बाबा भी राम मंदिर की बात कर रहे हैं।

पिछले दिनों रामदेव उत्तर प्रदेश के वाराणसी गए थें। वहां उन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर कट्टर बीजेपी समर्थक टाइप बयान दिया।

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उन्होंने कहा “अगर राम मंदिर नहीं बना तो देश में सांप्रदायिक माहौल गरमाएगा, सांप्रदायिक और आपसी भेदभाव बढ़ेगा। मंदिर के लिए समझौते का दौर निकल चुका है, संसद मे कानून लाओ और मंदिर बनाओ”

बाबा रामदेव का बयान अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिमों के लिए धमकी है। राम मंदिर न बनने से सांप्रदायिक माहौल कैसे गरमाएगा? रामदेव क्या चाहते हैं कि मुस्लिम खुद जाकर राम मंदिर निर्माण शुरु कर दें? क्या रामदेव को कोर्ट पर भरोसा नहीं है? इतनी जल्दबाजी क्यों है राम मंदिर बनाने की? क्या हिंदुओं कि धार्मिक भावना ही सर्वपरी है? मुस्लिमों के भावना की कोई कद्र नहीं?

इससे पहले बाबा रामदेव ने हरियाणा में अपने संबोधन के दौरान भारत माता की जय न बोलने वालों की गर्दन काट देने की धमकी दी थी।

शायद बाबा रामदेव आरएसएस के ‘हिंदु राष्ट्र’ वाले चश्मे से भारत को देखने लगे हैं। बाबा रामदेव को ये याद रखना चाहिए कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। यहां किसी धर्म को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है।

ख़ैर, वाराणसी में रामदेव ने राम मंदिर पर तो बात की लेकिन काले धन पर कुछ नहीं बोला। ये भूलना नहीं चाहिए कि रामदेव ने 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को खुला समर्थन दिया था।

बीजेपी के चुनाव जीतने से बाबा रामदेव को घोर फायदा भी हुआ। योग सिखाने वाला बाबा देखते ही देखते देश के शीर्ष उधोगपतियों के लिस्ट में शामिल हो गए। लेकिन अब जनता बाबा रामदेव का खेल समझने लगी है।

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स्वदेशी के रथ पर सवार होकर राशन और कॉस्मेटिक का सामान बेचने वाले बाबा रामदेव ‘ढोंगी’ हैं, ये बात चर्चा में है। इस चर्चा की मुख्य वजह है बाबा द्वारा ‘कालाधन’ के मुद्दें पर पलटी मारना।

रामदेव ने 2013 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के लिए माहौल बनाने हुए लिखा था कि, “काला धन वापस आने पर एक-एक गाँव को विकास के लिए 200 करोड़ रुपए मिलेंगे, तो हमारा एक-एक गाँव ब्रिटेन और अमेरिका से ज्यादा बेहतर होगा।”

नरेंद्र को प्रधानमंत्री बने साढ़े चार साल हो चुके हैं लेकिन आज तक कितना कालाधन आया इसका हिसाब बाबा रामदेव भी नहीं दे पा रहे हैं।

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