पिछले दिनों बुलंदशहर हिंसा और इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के मुख्य आरोपी योगेश राज को हैरतअंगेज तरीके से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। अब बजरंग दल के नेता योगेश राज के जिसपर हिंसा भड़काने और सुबोध सिंह को मारने के पर्याप्त सबूत है उसकी जमानत का आदेश बिना किसी अप्पति के बीते गुरुवार शाम जेल पहुंच गया, जिसके बाद उसे रिहा कर दिया गया है।
दरअसल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुई हिंसा के मामले में योगेश राज समेत कई आरोपियों पर राजद्रोह की धारा भी लगी है। योगी सरकार ने राजद्रोह की धारा लगाने की अनुमति दी थी, मगर अब उनमें से कई लोगों को जमानत दे दी गई है।
Bajrang Dal leader and main accused Yogesh Raj who had been arrested in connection with death of Inspector Subodh Singh (who was killed in Bulandshahr violence), has been released after being granted bail last week. pic.twitter.com/Q6RxKIoF8v
— ANI UP (@ANINewsUP) October 4, 2019
जब योगेश को जमानत मिली थी तभी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी रजनी सिंह ने कहा था कि “इस न्याय प्रणाली से मैं बहुत नाराज हूं। अगर इन्हें (पति सुबोध) न्याय नहीं मिलेगा तो फिर किसे मिलेगा? मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा है। अगर देश के लिए जान देने वालों के लिए यह कुछ नहीं कर सकते तो फिर किसके लिए करेंगे?
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मैंने आमतौर पर देखा है कि जिसपर एनएसए लगता है, उसे एक साल से पहले जमानत नहीं मिलती है। आरोपी पर अप्रैल में एनएसए लगा था उसे दो महीने में जमानत मिल गई। मुझे ये समझ नहीं आ रहा है कि ये लोग दोषी कहां पर नहीं हैं। अगर योगेश राज और शिखर अग्रवाल इस दंगे को इतनी प्रमुखता नहीं देते तो शायद मेरे घर का मुखिया मेरे साथ होता।
उन्होंने कहा था कि इस पूरे मामले पर मुझे बहुत नाराजगी है। कोई कुछ नहीं कर रहा। मुझे ऐसा लगता है कि ये लोग एक दिन मुझे ही मार डालेंगे। ना कोई कहने वाला होगा और ना कोई सुनने वाला होगा। आज मुझे भी मार दीजिए। इसके बाद भी योगी सरकार ने बिना किसी के अप्पति के आरोपियों को रिहा कर दिया है।
इस जमानत से कई सवाल उठने शुरू हो गए हैं। पहला ये कि क्या योगी सरकार इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी रजनी की बातों पर बिलकुल तवज्जों नहीं दी और उसने आरोपियों की रिहाई के खिलाफ कोर्ट से जमानत रद्द करने तक की अपील क्यों नहीं की?क्या सरकार की नज़रों में वो महज एक मामूली सी घटना थी।
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जिसमें सरकार को अप्पति नहीं हुई मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, योगेश राज उन लोगों में शामिल था, जिन्होंने महाव गांव में मवेशी का शव मिलने के बाद भड़की हिंसा के दौरान भीड़ को इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को मारने के लिए उकसाया था।
अब देखने वाली बात ये भी है कि पिछले दिनों एक बच्ची ने मंदिर की दानपेटी से 250 रुपए चुरा लिए थे। चोरी की वजह पापी पेट था। बच्ची के छोटे भाई-बहन भूख़े थे और घर में आटा ना था। पैसे और खाने का कहीं से कोई इंतज़ाम नहीं हो पाया। बच्ची की नज़र गांव के मंदिर में लगी दान पेटी पर पड़ी। उसने दान पेटी में से 250 रुपए निकाल लिए लेकिन उसकी चोरी CCTV ने पकड़ ली।
भूख़़ से बेबस बच्ची इस बात से अनजान थी कि मंदिर में सीसीटीवी लगा हुआ है जो उसकी हरक़त को क़ैद कर रहा है। चोरी पकड़ में आते ही बच्ची को भी पकड़ लिया गया, अब उसे बाल सुधार गृह शहडोल भेज दिया गया है।
हालाकिं बाद में उसे रिहा कर दिया गया था मगर दंगा फ़ैलाने वालों आरोपियों पर राज्य की योगी सरकार को अप्पति कैसे नहीं हुई सबसे बड़ा सवाल तो यही है। क्योंकि ऐसा अगर ऐसे लोगों को बेल देकर और निर्दोष लोगों को जेल में डाल दिया जायेगा तो न्याय किसे कैसे और कब मिलेगा ये तो वक़्त ही तय करेगा।
बता दें कि बुलंदशहर के कोतवाली स्याना के गांव चिंगरावठी में गोकशी के बाद हिंसा हुई थी, जिसमें एक युवक और इंस्पेक्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एक अन्य आरोपी, पूर्व भाजपा युवा मोर्चा कार्यकर्ता शिखर अग्रवाल पहले से ही जमानत पर बाहर है।