देश में जवानों के नाम पर खूब राजनीति की जा रही है। भारत माता के नाम पर भी खूब राजनीति हो रही है, पाकिस्तान और चीन के नाम पर भी खूब राजनीति हो रही है पर ऐसा लग रहा है जैसे देश का जवान सिर्फ राजनीति के लिए ही है। देश का जवान सिर्फ शहीद होने के लिए ही है ताकि नेता जी शहादत पर जाकर बड़े बड़े वादे कर सकें, अपनी राजनीति चमका सकें।
पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान कौशल कुमार रावत के परिजनों की आंखें नम हैं। शहीद की माँ सुधा सूबे के मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार से पूछ रही हैं की उनकी बदहाली सरकार को क्यों नहीं दिखती। वो बूढी मां दफ्तरों के चक्कर लगा लगाकर थक गयी है। उसकी उम्मीदें हर गुज़रते दिन के साथ टूटती जा रही हैं।
मां ने बेटा खोया है पर सरकार वादा कर देती है, बच्चों ने पिता को खोया है पर सरकार वादा कर देती है, पत्नी ने पति को खोया पर सरकार वादा कर देती है, पिता ने अपने बेटा खोया पर सरकार वादा कर देती है। इन वादों की कड़वी हक़ीक़त ये है की सारे के सारे वादे खोखले और दिखावटी हैं।
पुलवामा हमले में जवान कौशल कुमार रावत को शहीद हुए एक साल हो गया पर आज तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली। परिजन आज भी मदद की आस लगाए हुए हैं। योगी सरकार ने परिवार को 25 लाख रूपये देने की बात कही थी।
परिवार का आरोप है की सरकारी बाबू फाइलों को दबाये बैठे हैं और बार-बार दफ्तर के चक्कर लगवा रहे हैं। शहीद की पत्नी सुधा कहती हैं की जिलाधिकारी ने भी मदद की गुहार लगाई पर अब तक कोई मदद नहीं मिली है।
शहीद के नाम का स्मारक बनवाने की बात भी सरकार ने कही थी पर अभी तक उस पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में सरकार से पूछा जाना चाहिए की क्या देश का जवान सिर्फ राजनीति के लिए ही है।