भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश के विकास से जुड़े कई बड़े दावे किए थे। जिसमें से एक है वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनामी बनाने का लक्ष्य।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दावा भी जुमला साबित होने वाला है। क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति इस वक्त सबसे निचले स्तर पर आ पहुंची है।
देश में गिर रही अर्थव्यवस्था बढ़ रही बेरोजगारी और गरीबी के कारण मोदी सरकार सवालों के कटघरे में खड़ी है।
इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मामले में चिंता जाहिर की है।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि पीएम मोदी द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाए जाने का लक्ष्य असंभव है।
इस संदर्भ में सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा है कि “अगर मैं 2019-20 से 2025 तक भारत की जीडीपी को दोगुना करके 5 ट्रिलियन करने की बात कहता हूं तो इसके लिए मुझे हर साल जीडीपी की विकास दर 14.8 प्रति वर्ष की जरूरत होगी।
अगर मैं यह कहूं कि मौजूदा आर्थिक नीति उसे दर को कभी हासिल नहीं कर पाएगी। तो क्या मैं मोदी सरकार के खिलाफ बोल रहा हूं? क्या मुझे गैलीलियो वाली समस्या है?”
If I say doubling GDP to $ 5 trillion from 2019-20 to 2024-25 means GDP growth rate of 14.8% per year, and If also I say present economic policy cannot achieve anywhere near that rate, does it mean I am attacking Modi? Do I have a Galileo problem?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 23, 2021
वहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी भारत की गिर रही अर्थव्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि आने वाले वक्त में देश की अर्थव्यवस्था का हाल साल 1991 जैसा हो सकता है।
इसलिए मोदी सरकार को सतर्क रहना चाहिए। यह वक्त खुशी जाहिर करने का नहीं। बल्कि आत्ममंथन करने का है। आने वाला वक्त साल 1991 के आर्थिक संकट से भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
पूर्व प्रधानमंत्री का कहना है कि कोरोना महामारी के वजह से देश के करोड़ों लोग अपनी नौकरियां खो चुके हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी भारी संकट चल रहा है। कोरोना महामारी में देश के लोगों को जो देखना पड़ा है, वैसा नहीं होना चाहिए था।