BJP के फायरब्रांड नेता और इस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस लोकसभा चुनाव में मुश्किलों में हैं। योगी बीजेपी की पहली कतार के ‘स्टार प्रचारकों’ में से एक हैं। भाजपा की रैलियों में उनकी खासी मांग होती है। योगी ने बीजेपी को केंद्र की सत्ता में वापस लाने के लिए अबतक जितने भी कार्यक्रमों किए हैं, उन रैलियों में कुर्सियां खाली रह जा रही हैं।

योगी आदित्यनाथ मंगलवार को पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मौजूद थे। उन्होंने यहाँ नव मतदाता सम्मलेन कार्यक्रम में भाग लिया। लेकिन, इस दौरान सभागार में आधी कुर्सियां खाली रह गईं। कार्यक्रम में जितने लोग मौजूद थे उसमें युवाओं की जगह भाजपा के बुजुर्ग कार्यकर्ता थे। सवाल उठा रहा है कि क्या खाली कुर्सियां योगी और यूपी में BJP के लिए खतरे की घंटी है?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रमों में खुद भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं का न होना और जितने लोगों का कार्यक्रम रखा गया है उसमें तय मानक से आधे लोगों का पहुँचाना नीसंदेह बीजेपी में खलबली पैदा कर रहा है। कहीं न कहीं योगी के कार्यक्रमों में लोगों का न पहुँचाना ‘सपा-बसपा-आरएलडी’ गठबंधन भी है। क्योंकि लोगों को लगने लगा है कि यूपी में गठबंधन के सामने BJP को वोट करना अपने मताधिकार को बर्बाद करना है। इसीलिए BJP की रैलियों में भारी मात्रा में न पहुँचाना एक वजह ये भी है।

गौरतलब है कि एक हफ्ते के अंदर ये दूसरी बार है जब वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फ्लॉप शो दिखाई दिया है। इससे पहले योगी की गाज़ियाबाद में भी यही हाल था, वाराणसी में 26 मार्च को विजय संकल्प रैली में भी आधी से ज्यादा कुर्सियां खाली रह गई थीं। इस सभा में तो बीजेपी कार्यकर्ता कुर्सी हटाते नजर आए थे। और तो और योगी मथुरा में सांसद हेमा मालिनी के नामांकन में गए थे वहां हुई जनसभा में भी कुर्सियां खाली थीं।

मेरठ की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली में भी पूरा मैदान नहीं भर पाया था। इस कार्यक्रम में भी कुर्सियां खाली रह गई थीं। पीएम की रैली में कुर्सियां खाली होना खूब सुर्ख़ियों में रहा था।

योगी के सभाओं में हालात यहाँ तक पहुँच गए हैं कि छोटे-छोटे सभागार और छोटे ग्राउंड तक नहीं भर पा रहे हैं। इससे बीजेपी संगठन की नींद उड़ गई है। क्योंकि आने वाले दिनों में यूपी में प्रधानमंत्री की भी कई रैलियां होने वाली हैं, बीजेपी संगठन को डर है कि कहीं योगी जैसी सभाओं की तरह कहीं पीएम मोदी का हश्र ना हो जाए। यही हाल बीजेपी के बड़े नेताओं का भी है, उनके कार्यक्रमों में जनता नहीं जुट रही है। कार्यक्रम में ज्यादातर पार्टी के ही कार्यकर्ता मौजूद रहते हैं।

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