भारतीय जनता पार्टी और पीएम नरेंद्र मोदी सेना का राजनीति के लिए किस हद तक जाकर इस्तेमाल करते हैं ये कहने की जरूरत नहीं है। ये बात भी किसी से छुपी नहीं है कि भारतीय सेना किसी सरकार और राजनीतिक दल की मोहताज नहीं है। सेना के शौर्य के बारे में पूरी दुनिया जानती है।
इसी बीच सेना को लेकर कैग की एक रिपोर्ट आई है, इस रिपोर्ट ने मोदी सरकार की सारी पोल खोल कर रख दी है कि ये सरकार किस तरह सेना का अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करती है। इस रिपोर्ट से बड़े सवाल भी खड़े होते हैं।
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के हवाले से बताया है कि, कैग की एओ रिपोर्ट लोकसभा में पेश की गई। इस रिपोर्ट में 2015-16 से 2017-18 के बीच सैनिकों के लिए जरूरी सामानों की भारी किल्लत है।
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2015-16 और 2017-18 के दौरान कैग के ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने सैनिकों के कपड़ों से लेकर जरूरी राशन तक की सप्लाई में देरी का उल्लेख किया है। ये वो सैनिक हैं जो सियाचिन और डोकलाम जैसी हड्डी जमा देने वाली बर्फीला सरहदों पर दिन रात पहरा देते हैं। इस सैनिकों के पास ईसीसीई यानी एक्ट्रीम कोल्ड क्लोथिंग एंड इक्विपमेंट के तहत सामानों की सप्लाई होती है, जिसमें खास तरह के जूते,जैकेट, दस्ताने और स्लीपिंग बैग शामिल हिट हैं।
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें कई चीजों को जवान एक्सपायरी डेट के बाद भी इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सप्लाई में देरी की वजह से बेहद ठंडे इलाकों में तैनात सैनिकों को पुराने जूते फिर इस्तेमाल करने पड़े। ये खास तरह के जूते -55 डिग्री तापमान में सैनिकों को ठंड से बचाते हैं।
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मोदी सरकार लगातार देश के सैनिकों की अनदेखी कर रही है। इससे पहले सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) के 94000 कर्मचारियों को वेतन और भत्ते देने के लिए भारी पैसे की कमी थी। इस बात से एसएसबी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचित किया था मगर मंत्रालय ने इसे नजरअंदाज कर दिया था।