चुनाव आने वाले हैं. कुछ महीनो में नई सरकार बनेगी. पुरानी सरकार के जाने के साथ ही वित्तीय वर्ष भी ख़त्म होने वाला है. केवल तीन दिन और रह गए हैं.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कड़ी चेतावनी भेजी है. इस बार यानी 2018-19 के बजट में प्रत्यक्ष कर की वसूली का लक्ष्य 12 लाख करोड़ रखा गया था.
वित्त वर्ष की समाप्ति में मात्र चार दिन शेष रह गए हैं और वसूली अपने लक्ष्य से दो लाख करोड़ पीछे है. देश के लिए ये हालत चिंता का विषय है. अभी तक 10.29 लाख करोड़ आयकर ही जमा हो सका है.
इसके पहले वित्त वर्ष की तुलना में 12.5 प्रतिशत अधिक वसूली हुई है मगर बजट में तय किए गए लक्ष्य से अभी काफी पीछे है.
सीबीडीटी ने कहा है कि नियामक मूल्यांकन कर (बकाया और वर्तमान मांग से वसूली) में नकारात्मक चढ़ाव दिख रहा है. मार्च मध्य तक माइनस 5.2 प्रतिशत से बढ़कर माइनस 6.9 प्रतिशत हो चुका है.
सीबीडीटी ने बताया की बोर्ड ने आईटी अधिकारियों के साथ विभिन्न संचारों के माध्यम से रणनीतियों पर चर्चा की है और यह उम्मीद की गई थी कि इस समय तक उनकी रणनीतियां सफल हो जाएंगी. हालांकि आंकड़े एक अलग कहानी बताते हैं. सीबीडीटी ने तत्काल कार्रवाई के लिए कहा है, खासकर की बकाया एरिअर की वसूली. वर्तमान मांग के संबंध में टारगेट हासिल करने की चेतावनी भी दी गई है.
आईटी अधिकारी ने इसपर सफाई दी है. उनका कहना है कि, ‘अंतरिम बजट 2019-20 में 50,000 करोड़ रुपये की वृद्धि ने परिशोधित लक्ष्य को प्राप्त करने के कार्य को कठिन बना दिया है. हालांकि, विभाग लगातार रेवेन्यू बढ़ाने और आ रही कमी को कम करने का प्रयास कर रहा है. लेकिन मौजूदा गति के हिसाब से रु.50,000-60,000 करोड़ का शॉर्टफॉल मुमकिन है.’
साफ़ है देश में अर्थव्यवस्था उथल-पुथल हो रखी है. चुनाव आ रहे हैं, मुद्दे भी बहुत हैं. ज़रूरी है गाय, जाति, धर्म और भीड़ में खुदको भक्त न बनाइए. अर्थव्यवस्था देश के लिए उतनी ही ज़रूरी है जितना पेट के लिए खाना. सरकार अपनी नाकामियों को छिपाएगी. भाषण में डीआरडीओ की उपलब्धियां गिनवा सकती है. पर उनकी नाकामियों पर नज़र रखना अहम है.