योगी आदित्यनाथ ने सही ही कहा था, ”बाबा साहब ने संविधान न बनाया होता तो अखिलेश किसी जमींदार के यहां भैंस चरा रहे होते”

जाहिर है संविधान और उसके मूल्यों के प्रसार ने ही समाज के वंचित समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया। वरना भारतीय समाज में मौजूद जाति व्यवस्था अखिलेश ‘यादव’ जैसे पशुपालक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति को सत्ता का सपना भी नहीं देखने देती।

ये बात भी अब स्थापित सत्य है कि जब-जब और जहां-जहां संविधान की धारा अवरुद्ध हुई है वंचितों की वंचना तेज हो गयी है। ताजा आंकड़े बताते हैं कि योगीराज में संविधान की धार को कुन्द किया गया है। समानता की बयार मंद हो गयी है। और यही वजह है कि प्रतिनिधित्व सवर्णों की कोठी में कैद हो गयी है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस नाथ परम्परा से आते हैं उसमें जाति व्यवस्था, वर्णाश्रम व्यवस्था और ऊंच-नीच निषेध है। कभी नाथपंथियों में वर्णाश्रम व्यवस्था से विद्रोह करने वाले सबसे अधिक लोग हुआ करते थे। यही वजह है कि गोरखनाथ का प्रभाव कबीर, दादू, जायसी और मुल्ला दाऊद जैसे अस्पृश्य और गैर-हिन्दू कवियों पर भी माना जाता है।

लेकिन नाथपंथ के वर्तमान अगुआ योगी आदित्यनाथ शायद अपनी परम्परा को कट्टर हिंदूवाद व जातिवाद के प्रभाव में भूल गए हैं। उत्तर प्रदेश में उच्च पदों पर हुई नियुक्तियां बताती हैं कि योगी आदित्यनाथ के भीतर अजय सिंह बिष्ट अभी भी जिन्दा है!

अगर ऐसा ना होता तो यूपी में 26% डीएम योगी आदित्यनाथ की जाति के यानी ठाकुर ना होते। यूपी में कुल 75 जिले हैं, इनमें से 61 ज़िलों में एसपी और डीएम में से एक पद पर ठाकुर या ब्राह्मण हैं। कई जगहों पर दोनों पदों पर इन्हीं जातियों से अफ़सर हैं।

यूपी के कुल जिलाधिकारियों में से 40% सवर्ण हैं। 26% ठाकुरों के बाद सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण जिलाधिकारियों (11%) की है। SSP/SP की बात करें तो 75 में से 18 जिलों की कमान ठाकुरों के पास हैं और 18 ब्राह्मणों के पास।

एक बार सभी जातियों के अफसरों का आंकड़ा सामने रख लेते हैं ताकी तस्वीर और अधिक साफ हो जाए।

यूपी में ठाकुर डीएम हैं- 20
ब्रहामण डीएम हैं- 8
दलित डीएम हैं- 4
ओबीसी डीएम हैं- 14
बनिया डीएम हैं- 6
यादव डीएम हैं- 1

अब आते हैं SSP/SP के आंकड़ों पर…

यूपी में ठाकुर SSP/SP हैं- 18
ब्राह्मण SSP/SP हैं- 18
दलित SSP/SP हैं- 5
ओबीसी SSP/SP हैं- 12
बनिया SSP/SP हैं- 3
यादव SSP/SP हैं- 1

(ये स्थिति 30 दिसंबर 2021 तक की है)

अब बताइए… क्या ये बिना जातिवाद के संभव है कि यूपी में जिन जातियों की आबादी कुल 10% भी नहीं हैं… वो 50% से ज़्यादा प्रशासनिक पदों पर क़ब्ज़ा करके बैठी है। और ये आंकड़ा उस दौर का है जब 50% से अधिक IAS-IPS SC/ST/OBC से बन रहे हैं।

यूपी में प्रशासनिक पदों पर मुसलमानों का प्रतिनिधित्व योगी सरकार की साम्प्रदायिक कार्यप्रणाली का जीवंत प्रमाण है। 2011 की जनगणना के अनुसार यूपी की कुल आबादी 19.98 करोड़ है। इसमें से 3.84 करोड़ मुस्लिम हैं, जो कि कुल आबादी का 19.26 फीसदी हैं। बावजूद इसके यूपी की 75 में से एक भी जिले की कमान मुस्लिम अधिकारियों को नहीं सौंपी गई है।

अंकित राज

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