कांग्रेस ने राफेल मामले को लेकर एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस का दावा है कि राफ़ेल सौदे की घोषणा होने के बाद अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड को लाइसेंस दिया गया।

रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस की राषट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह सभी को मालूम है कि रिलायंस डिफेंस कंपनी राफेल सौदे से 12 दिन पहले बनी थी लेकिन दिलचस्प तथ्य यह है कि रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी 24 अप्रैल 2015 में बनी यानी दस अप्रैल 2015 को राफेल सौदे की घोषणा के बाद सीतारमण ने उस कंपनी को लाइसेंस दिया था।

चतुर्वेदी ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि इसके पीछे मंत्रालय किसके व्यापारिक हितों की रक्षा कर रहा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीती चार जनवरी को संसद में अपने भाषण में रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा था कि वह राफेल सौदे के आफसेट पार्टनर के बारे में जानकारी नहीं दे सकती हैं।

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जबकि हक़ीक़त यह है कि 28 अक्टूबर 2017 को फ्रांस के रक्षा मंत्री ने सीतारमण से मुलाकात की थी और दोनों दासो रिलायंस संयुक्त उपक्रम की आधारशिला रखने के लिए नागपुर गए थे और उनके साथ मंत्रिमंडल के सहयोगी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी थे।

कांग्रेस नेता ने सीतारमण पर संसद में झूठ बोलने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सीतारमण ने पिछले साल 14 सितंबर को यह दावा किया था कि HAL के पास 108 विमान बनाने की क्षमता नहीं है, आखिर ऐसा कहकर सीतारमण किस कार्पोरेट घराने के हितों का बचाव कर रही थीं।

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उन्होंने पूछा कि जब HAL के साथ 13 मार्च 2014 को 36 हज़ार करोड़ का वर्कशेयर समझौता हो चुका था तो HAL से राफेल का ठेका क्यों छीन लिया गया। आखिर क्या वजह है कि 75 साल पुरानी HAL के ऊपर राफेल सौदे की घोषणा के 12 दिन बाद बनी अनिल अंबानी की कंपनी को तरजीह दी गई।

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