ग्रेगरी स्टैंटन ऑफ जेनोसाइड वॉच ने कश्मीर और असम में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की। जेनोसाइड वॉच के संस्थापक डॉक्टर ग्रेगरी स्टैंटन ने कहा कि भारत में नरसंहार की तैयारी निश्चित रूप से चल रही है।
ये बात स्टैंटन ने गुरुवार 12 दिसंबर को वाशिंगटन में कश्मीर और एनआरसी पर ग्राउंड रिपोर्ट के विवरण में सभा को संबोधित करते हुए कही। इस सभा सांसदों और सरकारी अधिकारियों की थी। सभा को संबोधित करते हुए स्टैंटन ने कहा कि असम और कश्मीर में मुसलमानों का उत्पीड़न नरसंहार से ठीक पहले का चरण है। अगला चरण विनाशकारी है, जिसे हम नरसंहार कहते हैं।
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स्टैंटन को अमेरिकी राज्य विभाग में एक प्रस्तुति के रूप में प्रसिद्ध “दस चरणों के नरसंहार” बनाने के लिए जाना जाता है। जब उन्होंने 1996 में वहां काम किया था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का भी मसौदा तैयार किया, जिसने रवांडा और बुरुंडी के पूछताछ आयोग पर अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण बनाया।
वहीं, शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार निकाय ने भारत के नए नागरिकता कानून को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इसकी प्रकृति ही ‘मूल रूप से भेदभावपूर्ण’ है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेत के प्रवक्ता जेरेमी लॉरेंस ने जिनेवा में कहा, ‘हम भारत के नए नागरिकता (संशोधन) कानून 2019 को लेकर चिंतित हैं जिसकी प्रकृति ही मूल रूप से भेदभावपूर्ण है।’
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इससे पहले धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने नागरिकता संशोधन विधेयक को ‘गलत दिशा में खतरनाक मोड़ कहा था। साथ ही ‘धार्मिक मानदंड वाले इस विधेयक के कानून में बदलने की सूरत में अमेरिकी सरकार से गृह मंत्री अमित शाह और अन्य भारतीय नेताओं के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करने की अपील की थी।