देश में चुनाव कराना चुनाव आयोग का काम है। राजनीतिक दलों का काम है आचार सहिंता का पालन करते हुए चुनाव लड़ना। लेकिन BJP शायद चुनाव प्रचार के साथ-साथ चुनाव आयोग का भी काम देख रही है।

दरअसल 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव के बाद से मतदान के लिए इस्तेमाल होने वाले मशीन EVM को लेकर विपक्षी दल सवाल उठाते रहे हैं। कांग्रेस, सपा, बसपा, आप, राजद, वामपंथी दल कई मचों से EVM का मुद्दा उठाते रहे हैं। इन दलों का आरोप रहता है कि सत्ताधारी BJP चुनाव जीतने के लिए ईवीएम के साथ छेड़छाड़ करती है।

चुनाव आयोग इन आरोपों पर कुछ-एक बार संज्ञान लिया और फिर मामला खारिज कर दिया। EVM में गड़बड़ी है या नहीं इसका जवाब चुनाव आयोग को देना है। लेकिन फिलहाल बीजेपी चुनाव आयोग की जगह EVM के बचाव में है।

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बीजेपी ने अपने प्रचार के लिए कई वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किए हैं। इन्हीं में से एक वीडियो है EVM को लेकर। ब्लैक-एंड-व्हाईट इस वीडियो में एक महिला बहुत गुस्से में बोलती हुई नजर आती हैं।

वो कहती हैं- ‘कमाल है! जब-जब आप चुनाव जीतें तो सत्य की जीत और जब-जब आप चुनाव हारें तो EVM में गड़बड़ है। EVM पर सवाल उठाने लंदन तक पहुंच गए आप। एक तरफ मोदी जी देश को इज़्ज़त दिला रहे हैं और आप देश की इज़्ज़त उछाल रहे हो। EVM पर सवाल उठाने वालों इस बार भी।’

पहली बात ये कि विपक्षी दल द्वारा EVM पर सवाल उठाने से बीजेपी को क्या तकलीफ है? और जहां तक ये सवाल है कि ‘जब-जब आप चुनाव हार जाते हैं तो EVM पर सवाल उठाते हैं’ तो ये गुण तो विपक्षी दलों ने बीजेपी से ही सीखा है। क्योंकि बीजेपी ही वह पहली पार्टी है जिसने चुनाव हारने के बाद EVM पर सवाल उठाया था।

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी को को चुनावी हार मिली, तब पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने सबसे पहले ईवीएम पर सवाल उठाए थे।

बीबीसी में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, भाजपा ने कई भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों, कई गैर सरकारी संगठनों और अपने थिंक टैंक की मदद से ईवीएम मशीन के साथ होने वाली छेड़छाड़ और धोखाधड़ी को लेकर पूरे देश में अभियान चलाया।

बीजेपी प्रवक्ता ने बकायदा किताब लिख डाली थी। किताब का शिर्षक- ‘डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट ऑर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?’

इतना ही नहीं पुस्तक में वोटिंग सिस्टम के एक्सपर्ट स्टैनफ़र्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर डेविड डिल ने भी बताया है कि ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। तो क्या बीजेपी के इस ईवीएम विरोधी अभियान से देश का नाम खराब नहीं हुआ था?

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